अकेलेपन को ताकत कैसे बनाए (How to Make Loneliness a Strength )
Life Lessons From Eagle
बहुत पुरानी बात है एक समुद्र के किनारे एक गुरु का आश्रम हुआ करता था. गुरु बहुत बड़े ज्ञानी थे, इसीलिए उनके पास दूर-दूर से पढ़ने के लिए आते थे. गुरु के ज्ञान देने का तरीका भी बड़ा अनूठा था| वह सबसे पहले शिष्यों को उपदेश के मध्य से ज्ञान देते थे और उसके बाद कहते थे की इसी ज्ञान का अनुसरण करो और अपने जीवन में इसका प्रयोग करके देखो। यह बात आसपास के काफी गांव में पता थी. यह आश्रम के गुरु बहुत बड़े आत्मज्ञानी है. इसी बात को जानते हुए वहा के सम्राट ने एक दिन अपने बेटे को लेकर उस आश्रम में आए और वह गुरु से हाथ जोड़कर विनती करने लगे. गुरुदेव मैं चाहता हूं की मेरा बेटा आप से शिक्षा ग्रहण करें, आप से ज्ञान अर्जित करें क्योंकि मेरा बेटा अभी बहुत छोटा है और अभी से यदि वह आश्रम में रह कर आप से शिक्षा ग्रहण करेगा तो जरूर यह बड़ा होकर एक महान और सच्चा राजा बनकर दिखाएगा। और मैं चाहता हूं की यह सम्राट का बेटा है, इसीलिए इस को किसी चीज का फायदा नहीं मिलन चाहिए। मैं चाहता हूं की जैसे प्रजा के बच्चे रहते हैं, इस तरह मेरा बच्चा भी रहे, बिल्कुल साधारण रूप से. वो आपकी सेवा करें, जो आप कहे वही काम करें और यदि आप अपने तरीके से इस को ज्ञान देंगे तो मुझे यह बात बहुत अच्छी लगेगी। और मैं चाहता हूं की यह साधारण रूप से रह कर ज्ञान अर्जित करे। यह बात सुनकर गुरुदेव कहते हैं- यह बात भी बिल्कुल सत्य है जब आप एकदम साधारण रूप से रहते हैं तभी ज्ञान अर्जित कर पाते हैं. ज्ञान अर्जित करने के लिए किसी भी इंसान का बड़ा या छोटा होना नहीं बल्कि एक निर्मल मन होना चाहिए, वही असली ज्ञान को अर्जित कर पता है. आश्रम के सभी बच्चे यह देख रहे थे क्योंकि वह सम्राट अपने बेटे को रथ पर बैठा कर लाये थे ,इसीलिए आश्रम के सभी बच्चों को पता था की यह एक सम्राट का बेटा है। थोड़ी देर के बाद सम्राट वहां से चले जाते हैं, अपने बेटे को अकेले छोड़कर। जब जा रहे थे तो सम्राट का बेटा अपने पिताजी के बरे में सोच रहा था क्योंकि वो अभी बहुत छोटा था और वो समझ नहीं पा रहा था की उस के पिताजी उस को अकेले छोड़कर क्यों जा रहे हैं?
ये बात जब गुरुजी को पता चला तो गुरुजी उस बच्चे को लेकर समुद्र के किनारे टहलने निकल गए. लेकिन वो सम्राट का बच्चा अपने आप को बड़ा अकेला महसूस कर रहा था, इसीलिए वो वहां पर जोर-जोर से रोन लगा. तभी गुरु जी उस के पास आते हैं और कहते हैं- बेटा मैं तुम्हें चुप नहीं कराऊंगा क्योंकि यदि मैं आज तुम्हारे आंसू पोछ दूंगा तो तुम्हें अकेलापन का एहसास नहीं होगा क्योंकि इंसान अकेला आया है और अकेला ही जाएगा। इसीलिए उसे अकेले रह कर ही ज्ञान अर्जित करना चाहिए ताकि वह दुनियादारी को समझ सके. मुझे पता है की तुम्हें दुख है की तुम्हारे पिताजी तुम्हें छोड़कर क्यों चले गए. लेकिन यदि वह तुम्हें आज अकेले नहीं छोड़ेंगे तो तुम कभी भी अपने आप को समझ नहीं पाओगे, तुम कभी भी वह नहीं बन पाओगे जो तुम्हारे पिताजी बनाना चाहते हैं. तुम एक बड़े राजा बानो, मजबूत राजा बानो और उसके लिए इंसान को अकेले रहना जरूरी है, अकेलेपन से गुजर ना जरूरी है.
सम्राट का बेटा बहुत छोटा था उसकी उम्र लगभग 8 साल की थी, वह यह समझ नहीं पा रहा था की आखिर यह सब क्या हो रहा है. उसके बाद गुरु शिष्य को लेकर वापस आश्रम में आ जाते हैं. आश्रम के सभी बच्चे उन के पास आकर बैठ जाते हैं क्योंकि उन बच्चों को पता था की वह एक सम्राट का बेटा है. वह सोच रहे थे सम्राट के बेटे से दोस्ती करने से हमें जरूर फायदा होगा लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी थे जो अकेलेपन को महसूस करना चाहते थे. वह अकेलेपन को ही पसंद करते थे, इसीलिए वे सम्राट के बेटे के पास नहीं आये , लेकिन बहुत सारे बच्चे उन के पास बैठे थे. जब वो खाना खाने बैठे तो सभी बच्चे उस सम्राट के बेटे के पास ही बैठे,गुरु को इस बात का पता था. लेकिन गुरु अपने तरीके से उसे ज्ञान देना चाहते थे, वह नहीं चाहते थे की अभी से मैं इस बच्चे को कठोर से कठोर स्थिति में डाल दु , हो सकता है अभी यह छोटा है अभी यह समझ नहीं पाएगा। इसीलिए वो गुरु उस को उसके तरीके से ज्ञान देना चाहते थे, बड़ी कोमलता से उसको ज्ञान देना चाहते थे. फिर बहुत दोनों तक उसे उपदेशों के मध्य से ज्ञान दिया गया। लेकिन एक दिन गुरु उसको एक पहाड़ी के पास लेकर जाते हैं और उसको कहते हैं बेटा आज रात तुम्हें इसी पहाड़ी पर रुकना है. ये बात सुन कर वो बच्चा थोड़ा सा घबरा गया ,उसने कहा की गुरुदेव मुझे अकेला क्यों रहना पड़ेगा, आखिर ऐसा कौन सा ज्ञान आप देना चाहते हैं. गुरु कहते हैं- यह तो तुम जब अकेले रहोगे तभी इस बात को समझ पाओगे। आज तुम्हारा यह आखिरी परीक्षा का दिन है, क्योंकि मैंने तुम्हें बहुत उपदेशों से ज्ञान दिया है. अब मैं तुझे उसका अनुसरण करवाना चाहता हूं इसलिए मैं चाहता हूं की तुम खुद इस ज्ञान को अर्जित करो। गुरु आश्रम से निकलते हैं ,उससे पहले उस बच्चे से कहते हैं मेरी बात ध्यान से सुनो तुम जब इस पहाड़ी पर खड़े रहो तो चुप कर खड़े रहना, यहां पर एक बाज आती है और वो बाज क्या करती है, उसे बात से तुम क्या सीखते हो, मुझे वापस आकर आश्रम में यह सब चीज बताना। वो बाज रात में भी आ सकती है, वो बाज सुबह होते भी आ सकती है, लेकिन जब तक वह बाज ना आए और इस बाज से तुम कुछ ना सीख लो, तब तक तुम आश्रम में मत आना और एक बात का और ध्यान रखना, यहां पर एक चरवाहा भी आता है अपने भेड़ों को लेकर, उन दोनों से जो भी तुम सीखो, मुझे वापस आश्रम में आकर बताना और जब तक वह दोनों ना आ जाए और तुम कुछ ना सिख पाव, तब तक तुम आश्रम में मत आना. यह कहकर गुरुदेव वहां से आश्रम में चले जाते हैं और वह बच्चा वहीं पर छुप कर बैठ जाता है. उसके बाद वो जो एक दृश्य देखता है, उसको देख कर उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. एक बाज आती है और एक छोटे से भेड़ के बच्चे को उठा कर लेकर उड़ जाति है और वो बाज उसे उस पहाड़ी पर लेकर आती है, जहां पर वह बच्चा बैठा होता है। बच्चा छुपकर उस बाज को देख रहा था. उसके बाद ही यह सब देखकर वह बच्चा भगत हुआ आश्रम में जाता है और अपने गुरु से जाकर मिलता है. लेकिन वो सब बात बताता उस से पहले वो बच्चा कहता है गुरुदेव, मैं चाहता हूं की मैं जो बात बता रहा हूं वो सारे बच्चे सुने, पूरे आश्रम के बच्चे सुन जो मैं ने सीखा है. गुरुदेव सभी बच्चों को इकट्ठा कर देते हैं और वह बच्चा उस के बाद बताना शुरू करता है। उसके बाद वो बच्चा कहता है की गुरुदेव मैंने जो वहां पर देखा था,वो दृश्य गजब का था। एक बाज अपने बच्चे को लेकर आती है और उसे पहाड़ी पर रुक जाति है. उसके बाद अपने पंजो में उस बच्चे को पड़ कर आसमान में ऊपर चली जाति है, इतनी ऊपर चली जाति है की नीचे से तो वो दिखाई भी नहीं देती। वहां पर जाकर वो अपने बच्चे को छोड़ देती है और उसका बच्चा बहुत ही तेजी से नीचे आने लगता है, उस बच्चे को इस चीज का पता ही नहीं रहता की आखिर हो क्या रहा है? फिर वह धरती से थोड़ा सा ही ऊपर रहता है और वो बच्चा अपने पंख खोलता है और पंख खुलते हुए भी वो उड़ नहीं पता है, फिर वो फड़फड़ाता है और फिर धरती की तरफ तेजी से आता है, फिर वो बच्चा जैसे ही धरती पर गिरने वाला होता है, अपने पंख खोल कर फड़फड़ाने लगता है, और वो बाज की पहली उड़ान होती है. थोड़ी सी उड़ान ही भर पता है क्योंकि बच्चा छोटा होता है वह जल्दी उड़ नहीं पता. लेकिन जब वह धरती पर गिरने वाला होता है तभी ऊपर से एक पंजा आ कर उस बच्चे को अपने आगोश में ले लेता है और वो पंजा होता है उसकी मां का और मैंने देखा की वो बच्चा जब तक उड़ना नहीं शिख जाता तब तक वो बाज ऊपर ले जाकर अपने बच्चे को छोड़ देती है. यही उस की पहली परीक्षा होती है, भले वह कोमल है, वह बच्चा है लेकिन उसकी मां जानती है की जब तक ये उड़ना नहीं सीखेगा, ये खुद को बचा नहीं पाएगा। उस बाज से हमें यह सीखना चाहिए हमें कभी भी कोमल माहौल में नहीं रहना चाहिए। हमें हमेशा कठिन परिस्थितियों को चुना चाहिए। हमें हमेशा कठोर बन के रहना चाहिए, तभी हम इस दुनिया में जिंदा रह सकते हैं. क्योंकि यह नियति का नियम है, नियति भी उसे ही चुनौती है जो सबसे ताकतवर होते हैं. और जैसे वो उड़ना सीखता है वो मां उसे बच्चे पर अपना अधिकार छोड़ देता है क्योंकि उसे पता है की जो बाज का बच्चा उड़ना सिख जाएगा तो वो जीना सिख जाएगा।
मैंने बाज जो दूसरी बात बाज से सीखी वो ये थी की -वो बाज जो भेड के बच्चे को उठाने आई थी तो उस ने अपना एक लक्ष्य तैयार किया था. वह अपने वजन से 10 गुना ज्यादा वजन को उठा शक्ति है और लेकर उड़ शक्ति है, लेकिन उस बाज ने किसी पर भी हमला नहीं किया। सबसे पहले आ कर भेड़ की एक मेमने को उठाया, उसने अपना लक्ष्य बहुत दूर से ही तय कर दिया था की इस चीज को लेकर जाना है और इस बात से हमें यह सीखनी चाहिए की जगह-जगह मेहनत करने से अच्छा है हम एक जगह मेहनत लगानी चाहिए, एक लक्ष्य को निर्धारित करना चाहिए और पूरा 100% हमें इस चीज पर लगा देना चाहिए। उसके बाद ही हमें सफलता हासिल होती है। ऐसा नहीं है की बाज हमेशा पहले ही बार में शिकार कर देता है, नहीं वो बार बार कोशिश करता है, लेकिन ऐसा नहीं की वो हार कर बैठ जाता है वो हमेशा शिकार करना जानता है. वो कभी भी मरे हुए जानवर को नहीं खाता ,उसकी एक खासियत होती है, वह हमेशा जिंदा जानवर को मार कर खाएगा ,अपने खुद के हाथों से शिकार कर के खाएगा।
तीसरी बात जो मैंने बात से सखी वो है - "अकेलापन "-जब तक आप अकेले नहीं रहोगे तब तक आप दुनिया में किसी से जीत नहीं सकते, आप कामयाब नहीं हो सकते। अकेले रह कर अपने आप को जाना होता है. बाज हमेशा अकेला होता है, वह हमेशा अकेला शिकार करता है. आप ने धरती पर रहने वाले जंगल के राजा को देखा होगा। शेर भी हमेशा झुंड में शिकार करता है, लेकिन बाज एक ऐसा जानवर होता है जो अकेला शिकार करना जानता है. वो अकेला ही शिकार करता है, वो कभी भी झुंड में शिकार नहीं करता। वो आकाश में उड़ता है तो भी अकेला ही करता है. वो अकेला होता है, कभी भी किसी का सहारा लेकर शिकार नहीं करता। हमें भी किसी का सहारा लेकर आगे नहीं बढ़ चाहिए। हमें हमेशा अकेला रहना चाहिए, अकेला इंसान इस दुनिया को बदलने का हौसला रखना है.
चौथी बात जो मैंने सखी- बाज की उम्र लगभग 70 साल की होती है लेकिन जब वो 40 साल का होता है तब उस का मरने का एक दिन आता है उस के पंख भारी हो जाते हैं, उड़ कर शिकार नहीं कर पता है ,उस के चोंच मुड जाता है, उस के पैरों में बड़े-बड़े नाखून हो जाते हैं, जिस से ना तो वो किसी को पकड़ पाती है और ना ही अपने चोंच से किसी का शिकार कर पाती है और ना ही वह आकाश में ऊपर उड़ पाती है। उसके बाद बाज के पास दो रास्ते रहते हैं या तो यूं ही बैठ कर मर जाना ,भूखे प्यास मर जाना या फिर दूसरा रास्ता -अपने आप को वापस तैयार करना और वापस 30 साल के सफर पर निकाल जाना। लेकिन बाज बाज होता है ,वो दूसरे रास्ते को अपनाते है. वो एक पहाड़ी पर जाकर अपनी चोंच को पत्थर पर मार कर तोड़ देता है ,भले वो थोड़े दिन शिकार ना कर पाए. लेकिन उसे पता है इस परिस्थिति से यदि मैं नहीं निकलेगा तो मैं भूख मर जाऊंगा। उसके बाद अपने चोंच से ही पंखों को तोड़-तोड़ कर निकाल देता है, क्योंकि उस के पंख भारी हो कर चिपक जाते हैं, वह उड़ नहीं पाता हैं. इसीलिए वो अपने पंखों को अपने ही चोंच से तोड़कर निकाल देता है, खून से लहू लोहान हो जाता है. उस के बाद अपने पंजों पर बड़े नाखूनों को जोर-जोर से रगड़ रगड़ कर धरती पर उसे तोड़ता है. उसके बाद वो 5-6 महीने तक इस दर्द को झेलता है, शिकार भी नहीं कर पता. लेकिन उस के बाद वह तैयार होता है, एक नई बाज का जन्म होता है और वह 40 साल के अनुभव के साथ फिर आकाश में उड़ता है और अपने इलाके में वापस अपनी आवाज के साथ उस का ऐलान करता है.
क्योंकि हम सब को बाज से सीखना चाहिए हमे बाज की तरह बनना चाहिए क्योंकि जो तोता होता है वो बोलता बहुत मीठा है लेकिन कर कुछ नहीं पता, वो पिंजरे में बैठे-बैठे सिर्फ बोलता है ,कर कुछ नहीं पता. लेकिन एक बाज होता है, जो आकाश को अपने पंखों से नाप लेता है. उसके बाद वह अपने गुरु से कहता है गुरुदेव- मैंने बाज से जो शिखा वह मैंने इन सब को बता दिया, यदि इस में कोई बात छुट गई हो तो आप हमें बताने की कृपा करें। उसके बाद गुरु कहते हैं- जो भी इस बच्चे ने बात बताई वह बिल्कुल बात सत्य है और यह बातें बिल्कुल सच्ची है. हमें बाज से सीखना चाहिए और जो यह बातें बताई गई है, उस का अपने जीवन में जरूर अनुसरण करना चाहिए। यह कहते हुए गुरुदेव कहते हैं की -आज इस बच्चे की सारी परीक्षाएं खत्म हो गई ,इस की शिक्षा पुरी हो चुकी है. इसीलिए मैं इस बच्चे को वापस इस के राजदरबार में छोड़ ने जा रहा हूं. यह कहते हुए गुरुदेव उस बच्चे का हाथ पकड़ते हैं और वापस उस को आश्रम से लेकर राजदरबार में छोड़कर आ जाते हैं.