Sunday 2 July 2023

अकेलेपन को ताकत कैसे बनाए

अकेलेपन को ताकत कैसे बनाए (How to Make Loneliness a Strength )

Life Lessons From Eagle


बहुत पुरानी बात है एक समुद्र के किनारे एक  गुरु का आश्रम हुआ करता था. गुरु बहुत बड़े ज्ञानी थे, इसीलिए उनके पास दूर-दूर से पढ़ने के लिए आते  थे. गुरु के ज्ञान देने का तरीका भी बड़ा अनूठा  था| वह सबसे पहले शिष्यों को उपदेश के मध्य से  ज्ञान देते थे और उसके बाद कहते थे की इसी ज्ञान  का अनुसरण करो और अपने जीवन में इसका प्रयोग  करके देखो। यह बात आसपास के काफी गांव में पता थी. यह आश्रम के गुरु बहुत बड़े आत्मज्ञानी है. इसी बात  को जानते हुए वहा के सम्राट ने एक दिन अपने बेटे  को लेकर उस आश्रम में आए और वह गुरु से हाथ जोड़कर  विनती करने लगे. गुरुदेव मैं चाहता हूं की मेरा  बेटा आप से शिक्षा ग्रहण करें, आप से ज्ञान अर्जित करें क्योंकि मेरा बेटा अभी बहुत छोटा है और अभी से यदि वह आश्रम में रह कर आप से शिक्षा ग्रहण करेगा तो जरूर यह बड़ा होकर एक महान और सच्चा राजा बनकर दिखाएगा।  और मैं चाहता हूं की यह सम्राट का बेटा है, इसीलिए  इस को किसी चीज का फायदा नहीं मिलन चाहिए। मैं चाहता  हूं की जैसे प्रजा के बच्चे रहते हैं, इस तरह मेरा  बच्चा भी रहे, बिल्कुल साधारण रूप से. वो आपकी सेवा  करें, जो आप कहे वही काम करें और यदि आप अपने तरीके से  इस को ज्ञान देंगे तो मुझे यह बात बहुत अच्छी लगेगी। और  मैं चाहता हूं की यह साधारण रूप से रह कर ज्ञान अर्जित करे। यह बात सुनकर  गुरुदेव कहते हैं- यह बात भी बिल्कुल सत्य है जब आप  एकदम साधारण रूप से रहते हैं तभी ज्ञान अर्जित कर  पाते हैं. ज्ञान अर्जित करने के लिए किसी भी इंसान  का बड़ा या छोटा होना नहीं बल्कि एक निर्मल मन  होना चाहिए, वही असली ज्ञान को अर्जित कर पता है.  आश्रम के सभी बच्चे यह देख रहे थे क्योंकि वह सम्राट  अपने बेटे को रथ पर बैठा कर लाये थे ,इसीलिए आश्रम के सभी बच्चों को पता था की यह एक सम्राट का बेटा है। थोड़ी  देर के बाद सम्राट वहां से चले जाते हैं, अपने बेटे को  अकेले छोड़कर। जब जा रहे थे तो सम्राट का बेटा अपने  पिताजी के बरे में सोच रहा था क्योंकि वो अभी बहुत  छोटा था और वो समझ नहीं पा रहा था की उस के पिताजी  उस को अकेले छोड़कर क्यों जा रहे हैं?


ये बात जब गुरुजी  को पता चला तो गुरुजी उस बच्चे को लेकर समुद्र के  किनारे टहलने निकल गए. लेकिन वो सम्राट का बच्चा अपने आप को बड़ा अकेला महसूस कर रहा था, इसीलिए वो वहां पर  जोर-जोर से रोन लगा. तभी गुरु जी उस के पास आते हैं और  कहते हैं- बेटा मैं तुम्हें चुप नहीं कराऊंगा क्योंकि  यदि मैं आज तुम्हारे आंसू पोछ दूंगा तो तुम्हें  अकेलापन का एहसास नहीं होगा क्योंकि इंसान अकेला  आया है और अकेला ही जाएगा। इसीलिए उसे अकेले रह कर  ही ज्ञान अर्जित करना चाहिए ताकि वह दुनियादारी को  समझ सके. मुझे पता है की तुम्हें दुख है की तुम्हारे  पिताजी तुम्हें छोड़कर क्यों चले गए. लेकिन यदि  वह तुम्हें आज अकेले नहीं छोड़ेंगे तो तुम कभी  भी अपने आप को समझ नहीं पाओगे, तुम कभी भी वह नहीं बन  पाओगे जो तुम्हारे पिताजी बनाना चाहते हैं. तुम एक  बड़े राजा बानो, मजबूत राजा बानो और उसके लिए इंसान  को अकेले रहना जरूरी है, अकेलेपन से गुजर ना जरूरी है.  


सम्राट का बेटा बहुत छोटा था उसकी उम्र लगभग 8  साल की थी, वह यह समझ नहीं पा रहा था की आखिर यह सब क्या हो रहा है. उसके बाद गुरु शिष्य को लेकर वापस  आश्रम में आ जाते हैं. आश्रम के सभी बच्चे उन के पास  आकर बैठ जाते हैं क्योंकि उन बच्चों को पता था की वह एक सम्राट का बेटा है. वह सोच रहे थे सम्राट के बेटे से दोस्ती  करने से हमें जरूर फायदा होगा लेकिन कुछ बच्चे ऐसे  भी थे जो अकेलेपन को महसूस करना चाहते थे. वह अकेलेपन  को ही पसंद करते थे, इसीलिए वे सम्राट के बेटे के पास  नहीं आये , लेकिन बहुत सारे बच्चे उन के पास बैठे थे. जब  वो खाना खाने बैठे तो सभी बच्चे उस सम्राट के बेटे  के पास ही बैठे,गुरु को इस बात का पता था. लेकिन गुरु अपने  तरीके से उसे ज्ञान देना चाहते थे, वह नहीं चाहते थे  की अभी से मैं इस बच्चे को कठोर से कठोर स्थिति में  डाल दु , हो सकता है अभी यह छोटा है अभी यह समझ नहीं  पाएगा। इसीलिए वो गुरु उस को उसके तरीके से ज्ञान  देना चाहते थे, बड़ी कोमलता से उसको ज्ञान देना चाहते  थे. फिर बहुत दोनों तक उसे उपदेशों के मध्य से ज्ञान  दिया गया। लेकिन एक दिन गुरु उसको एक पहाड़ी के पास  लेकर जाते हैं और उसको कहते हैं बेटा आज रात तुम्हें  इसी पहाड़ी पर रुकना है. ये बात सुन कर वो बच्चा थोड़ा  सा घबरा गया ,उसने कहा की गुरुदेव मुझे अकेला क्यों  रहना पड़ेगा, आखिर ऐसा कौन सा ज्ञान आप देना चाहते  हैं. गुरु कहते हैं- यह तो तुम जब अकेले रहोगे तभी इस  बात को समझ पाओगे। आज तुम्हारा यह आखिरी परीक्षा का  दिन है, क्योंकि मैंने तुम्हें बहुत उपदेशों से ज्ञान  दिया है. अब मैं तुझे उसका अनुसरण करवाना चाहता हूं  इसलिए मैं चाहता हूं की तुम खुद इस ज्ञान को अर्जित  करो। गुरु आश्रम से निकलते हैं ,उससे पहले उस  बच्चे से कहते हैं मेरी बात ध्यान से सुनो तुम जब  इस पहाड़ी पर खड़े रहो तो चुप कर खड़े रहना, यहां  पर एक बाज आती है और वो बाज क्या करती है, उसे बात  से तुम क्या सीखते हो, मुझे वापस आकर आश्रम में यह  सब चीज बताना। वो बाज रात में भी आ सकती है, वो बाज  सुबह होते भी आ सकती है, लेकिन जब तक वह बाज ना आए  और इस बाज से तुम कुछ ना सीख लो, तब तक तुम आश्रम में  मत आना और एक बात का और ध्यान रखना, यहां पर एक चरवाहा   भी आता है अपने भेड़ों को लेकर, उन दोनों से जो भी तुम सीखो, मुझे वापस आश्रम में आकर बताना  और जब तक वह दोनों ना आ जाए और तुम कुछ ना सिख पाव, तब तक तुम आश्रम में मत आना. यह कहकर गुरुदेव वहां से  आश्रम में चले जाते हैं और वह बच्चा वहीं पर छुप कर  बैठ जाता है. उसके बाद वो जो एक दृश्य देखता है, उसको  देख कर उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. एक बाज आती  है और एक छोटे से भेड़ के बच्चे को उठा कर लेकर उड़  जाति है और वो बाज उसे उस पहाड़ी पर लेकर आती है, जहां पर  वह बच्चा बैठा होता है। बच्चा छुपकर उस बाज को  देख रहा था. उसके बाद ही यह सब देखकर वह बच्चा भगत  हुआ आश्रम में जाता है और अपने गुरु से जाकर मिलता  है. लेकिन वो सब बात बताता उस से पहले वो बच्चा कहता  है गुरुदेव, मैं चाहता हूं की मैं जो बात बता रहा हूं  वो सारे बच्चे सुने, पूरे आश्रम के बच्चे सुन जो मैं ने  सीखा है. गुरुदेव सभी बच्चों को इकट्ठा कर देते हैं और  वह बच्चा उस के बाद बताना शुरू करता है। उसके बाद वो  बच्चा कहता है की गुरुदेव मैंने जो वहां पर देखा था,वो दृश्य गजब का था।   एक बाज अपने बच्चे को लेकर आती है और उसे पहाड़ी पर  रुक जाति है. उसके बाद अपने पंजो में उस बच्चे को  पड़ कर आसमान में ऊपर चली जाति है, इतनी ऊपर चली जाति  है की नीचे से तो वो दिखाई भी नहीं देती। वहां पर जाकर वो अपने बच्चे को छोड़ देती है और उसका बच्चा बहुत  ही तेजी से नीचे आने लगता है, उस बच्चे को इस चीज का  पता ही नहीं रहता की आखिर हो क्या रहा है? फिर वह धरती  से थोड़ा सा ही ऊपर रहता है और वो बच्चा अपने पंख  खोलता है और पंख खुलते हुए भी वो उड़ नहीं पता है, फिर वो फड़फड़ाता है और फिर धरती की तरफ तेजी से आता  है, फिर वो बच्चा जैसे ही धरती पर गिरने वाला होता  है, अपने पंख खोल कर फड़फड़ाने लगता है, और वो  बाज की पहली उड़ान होती है. थोड़ी सी उड़ान ही भर पता है  क्योंकि बच्चा छोटा होता है वह जल्दी उड़ नहीं पता. लेकिन जब वह धरती पर गिरने वाला होता है तभी ऊपर  से एक पंजा आ कर उस बच्चे को अपने आगोश में ले लेता  है और वो पंजा होता है उसकी मां का और मैंने देखा  की वो बच्चा जब तक उड़ना नहीं शिख जाता तब तक वो बाज ऊपर  ले जाकर अपने बच्चे को छोड़ देती है. यही उस की पहली  परीक्षा होती है, भले वह कोमल है, वह बच्चा है लेकिन  उसकी मां जानती है की जब तक ये उड़ना नहीं सीखेगा, ये  खुद को बचा नहीं पाएगा। उस बाज से हमें यह सीखना  चाहिए हमें कभी भी कोमल माहौल में नहीं रहना चाहिए।  हमें हमेशा कठिन परिस्थितियों को चुना चाहिए। हमें  हमेशा कठोर बन के रहना चाहिए, तभी हम इस दुनिया  में जिंदा रह सकते हैं. क्योंकि यह नियति का नियम  है, नियति भी उसे ही चुनौती है जो सबसे ताकतवर होते  हैं. और जैसे वो उड़ना सीखता है वो मां उसे बच्चे पर  अपना अधिकार छोड़ देता है क्योंकि उसे पता है की जो  बाज का बच्चा उड़ना सिख जाएगा तो वो जीना सिख जाएगा। 


 मैंने बाज जो दूसरी बात बाज से सीखी वो ये थी की -वो बाज  जो भेड के बच्चे को उठाने आई थी तो उस ने अपना एक  लक्ष्य तैयार किया था. वह अपने वजन से 10 गुना ज्यादा  वजन को उठा शक्ति है और लेकर उड़ शक्ति है, लेकिन उस  बाज ने किसी पर भी हमला नहीं किया। सबसे पहले आ कर  भेड़ की एक मेमने को उठाया, उसने अपना लक्ष्य बहुत  दूर से ही तय कर दिया था की इस चीज को लेकर जाना है  और इस बात से हमें यह सीखनी चाहिए की जगह-जगह मेहनत  करने से अच्छा है हम एक जगह मेहनत लगानी चाहिए, एक  लक्ष्य को निर्धारित करना चाहिए और पूरा 100% हमें  इस चीज पर लगा देना चाहिए। उसके बाद ही हमें सफलता  हासिल होती है। ऐसा नहीं है की बाज हमेशा पहले ही बार  में शिकार कर देता है, नहीं वो बार बार कोशिश करता  है, लेकिन ऐसा नहीं की वो हार कर बैठ जाता है वो हमेशा शिकार करना जानता है. वो कभी भी मरे हुए जानवर को  नहीं खाता ,उसकी एक खासियत होती है, वह हमेशा जिंदा  जानवर को मार कर खाएगा ,अपने खुद के हाथों से शिकार  कर के खाएगा।


तीसरी बात जो मैंने बात से सखी वो है - "अकेलापन "-जब तक आप अकेले नहीं रहोगे तब तक आप दुनिया  में किसी से जीत नहीं सकते, आप कामयाब नहीं हो सकते।  अकेले रह कर अपने आप को जाना होता है. बाज हमेशा अकेला  होता है, वह हमेशा अकेला शिकार करता है. आप ने धरती पर  रहने वाले जंगल के राजा को देखा होगा। शेर भी हमेशा  झुंड में शिकार करता है, लेकिन बाज एक ऐसा जानवर होता  है जो अकेला शिकार करना जानता है. वो अकेला ही शिकार करता है, वो कभी भी झुंड में शिकार नहीं करता। वो आकाश में उड़ता है तो भी अकेला ही   करता है. वो अकेला होता है, कभी भी किसी का सहारा  लेकर शिकार नहीं करता। हमें भी किसी का सहारा लेकर  आगे नहीं बढ़ चाहिए। हमें हमेशा अकेला रहना चाहिए, अकेला इंसान इस दुनिया को बदलने का हौसला रखना है.


 चौथी बात जो मैंने सखी- बाज की उम्र लगभग 70  साल की होती है लेकिन जब वो 40 साल का होता है तब  उस का मरने का एक दिन आता है उस के पंख भारी हो जाते  हैं, उड़ कर शिकार नहीं कर पता है ,उस के चोंच मुड  जाता है, उस के पैरों में बड़े-बड़े नाखून हो जाते हैं,  जिस से ना तो वो किसी को पकड़ पाती है और ना ही अपने  चोंच से किसी का शिकार कर पाती है और ना ही वह आकाश  में ऊपर उड़ पाती है। उसके बाद बाज के पास दो रास्ते  रहते हैं या तो यूं ही बैठ कर मर जाना ,भूखे प्यास मर  जाना या फिर दूसरा रास्ता -अपने आप को वापस तैयार  करना और वापस 30 साल के सफर पर निकाल जाना। लेकिन  बाज बाज होता है ,वो दूसरे रास्ते को अपनाते है. वो एक  पहाड़ी पर जाकर अपनी चोंच को पत्थर पर मार कर तोड़  देता है ,भले वो थोड़े दिन शिकार ना कर पाए. लेकिन  उसे पता है इस परिस्थिति से यदि मैं नहीं निकलेगा तो मैं  भूख मर जाऊंगा। उसके बाद अपने चोंच से ही पंखों को  तोड़-तोड़ कर निकाल देता है, क्योंकि उस के पंख भारी  हो कर चिपक जाते हैं, वह उड़ नहीं पाता हैं. इसीलिए वो  अपने पंखों को अपने ही चोंच से तोड़कर निकाल देता  है, खून से लहू लोहान हो जाता है. उस के बाद अपने पंजों  पर बड़े नाखूनों को जोर-जोर से रगड़ रगड़ कर धरती पर  उसे तोड़ता है. उसके बाद वो 5-6 महीने तक इस दर्द को  झेलता है, शिकार भी नहीं कर पता. लेकिन उस के बाद वह तैयार होता है, एक नई बाज का जन्म होता है और वह  40 साल के अनुभव के साथ फिर आकाश में उड़ता है और  अपने इलाके में वापस अपनी आवाज के साथ उस का ऐलान करता  है.


क्योंकि हम सब को बाज से सीखना चाहिए हमे बाज की तरह बनना चाहिए क्योंकि जो तोता होता है वो  बोलता बहुत मीठा है लेकिन कर कुछ नहीं पता, वो पिंजरे  में बैठे-बैठे सिर्फ बोलता है ,कर कुछ नहीं पता. लेकिन  एक बाज होता है, जो आकाश को अपने पंखों से नाप लेता है.  उसके बाद वह अपने गुरु से कहता है गुरुदेव- मैंने  बाज से जो शिखा वह मैंने इन सब को बता दिया, यदि इस में  कोई बात छुट गई हो तो आप हमें बताने की कृपा करें।  उसके बाद गुरु कहते हैं- जो भी इस बच्चे ने बात बताई  वह बिल्कुल बात सत्य है और यह बातें बिल्कुल सच्ची  है. हमें बाज से सीखना चाहिए और जो यह बातें बताई  गई है, उस का अपने जीवन में जरूर अनुसरण करना चाहिए। यह  कहते हुए गुरुदेव कहते हैं की -आज इस बच्चे की सारी परीक्षाएं खत्म हो गई ,इस की शिक्षा पुरी हो चुकी है.  इसीलिए मैं इस बच्चे को वापस इस के राजदरबार में  छोड़ ने जा रहा हूं. यह कहते हुए गुरुदेव उस बच्चे का  हाथ पकड़ते हैं और वापस उस को आश्रम से लेकर राजदरबार  में छोड़कर आ जाते हैं.

Saturday 1 July 2023

शरीर में बल कैसे बढाए

शरीर में बल कैसे बढाए

पुराने जमाने के लोग बहुत ताकतवर हुआ करते थे. महाराणा प्रताप और शिवाजी क्या  जिम जाया  करते थे ?आप जरा सोचिए की एक 16 साल का लड़का युद्ध में एक गढ़ जीत लेता  है. मैं बात कर रहा हूं शिवाजी महाराज के बरे  में, उन्होंने 16 साल की उम्र में एक किला जीत लिया था. आज की तारीख में 16 साल के लड़के को आप देख लीजिए वो क्या कर सकता है? महाराणा प्रताप ने अपने तलवार की एक वार से दुश्मन और उसके घोड़े को काट दिया था. आप इसी से अंदाज़ लगा लीजिए की महाराणा प्रताप के बाजू में कितनी ताकत थी. दोस्तों यह तो हम जानते हैं, खाने-पीने में बहुत फर्क आ  गया है. पुराने जमाने के लोगों को यह भी नहीं पता था कौन सा पौष्टिक  खाने से मुझे प्रोटीन मिलेगा कौन सा  पौष्टिक  खाने से मुझे वसा मिलेगा ,उस के बावजूद भी वह योद्धा इतने ताकतवर होते थे और आज हमें सब चीज का पता होते हुए भी आज हम वही चीज खाते  हैं, फिर भी उन योद्धाओं के 10% ताकत भी हमारे अंदर नहीं रही. आखिर गलती कहां हो रही है, हमें उस पर ध्यान देना होगा। दोस्तों आज की इस  कहानी के अंदर हम  इस गलती के बरे बात करेंगे और पुराने जमाने की जैसे  ताकत बढ़ाई जाति थी, जिस को योद्धा लोग अपनाया करते थे. वही विधि मैं आपको बताने वाला हूं और एक बहुत बड़ा करण है की पुराने जमाने के लोग ताकतवर क्यों होते थे? और आज के युवा इतने ताकतवर क्यों नहीं है? अब बहुत लोग  कहेंगे की खाने-पीने का फर्क है, लेकिन नहीं खाने पीने का फर्क नहीं है. उसके बावजूद भी हम ताकत में उनके बराबर नहीं है, उनका एक बहुत बड़ा कारण है. वह कारण भी आप इस कहानी के अंदर जान पाओगे। तो चलिए शुरू करते हैं। 

पुराने समय की बात है- यह गांव में एक लड़का रहा करता था ,जो बहुत ताकतवर था. आसपास के बहुत सारे युवा जब उस से लड़ने आते थे तो वह लड़का हर किसी को पटखनी दे देता था.  उस के शरीर में बहुत ताकत थी. एक बार वह गांव के बाहर खड़ा था और अपने दोस्तों से बात कर रहा था, तभी पास से राजा का हाथी निकलता है. तभी वह लड़के कहते हैं की यदि तेरे अंदर इतनी ही ताकत है तो इस को रोक के बता दे. तभी वो लड़का इस  बात का ज़िद करते हुए हाथी  की पूछ पकड़ता है और वह इतनी ताकत लगाता है की वो हाथी  हिल भी नहीं पता है. यह देखकर आस पास के लोग भौंचके रह  जाते हैं  की किसी इंसान के अंदर इतनी ताकत कैसे हो शक्ति है, क्योंकि हाथी का शरीर तो हम सबको पता है की बहुत ज्यादा भारी होता है और हाथी सब से ज्यादा ताकतवर जानवर भी है और एक इंसान हाथी को रोक दे इस बात पे तो विश्वास भी नहीं किया जा सकता। लेकिन उस लड़के ने उस हाथी की पुछ इतनी मजबूती से पकड़ी की वो  वहीं पर अटक गया. यह देख राजा भी सोच में पड गया, भला एक आदमी इतना मजबूत कैसे हो सकता है? उसके बाद राजा अपने महल में जाता है और उस लड़के को अपने घर पर बुलाता  है. राजा जाना चाहता था की ऐसा हमारे नगर में कौन है जिस ने हाथी को रोक दिया और वो भी राजा के  हाथी को. उसके बाद वो लड़का राजा के सामने जाता है और राजा कहता है- यदि तेरे में इतनी ताकत है, मेरे राजमहल में एक बहुत ही मजबूत हाथी  है यदि तुम उस को रोक देते हो, हम तेरी ताकत का लोहा मन लेंगे। उसके बाद एक बहुत ही मजबूत हाथी को उस लड़के के सामने छोड़ जाता है और राजा कहता अब इसको रोक कर दिखा। वो लड़का अपनी पुरी मेहनत लगता है और सच में उस हाथी को एक जगह रोक  देता है ,हाथी  एक भी पैर आगे नहीं भर पता है. ये देख कर राजा हैरान हो जाता है की सच में इस लड़के ने अपने शरीर पर मेहनत की है और कुछ तो उस लड़के में बात है जो इतनी ताकत है इस में. भला हाथी को रोकना, ये कोई सामान्य मनुष्य के बस की बात नहीं है. उस के बाद राजा कहता है तुम ने हमारे हाथी को नगर में चलते हुए वहीं पर रोक दिया था इसलिए हम तुम को एक सजा देंगे।  सजा के तोर पर तुझे यह करना है की- हमारे गांव के बाहर में एक मंदिर है उस में तूने रोज जाकर एक दिया जलाना  है और यदि जीस  दिन तुम दिया करना भूल गए और दिया नहीं जला पाए , उस दिन तुझे जेल  में डाल दिया जाएगा।  यह तेरी सजा है, 1 साल तक तुम्हें वहा  दिया जलाना  है.

अब वो लड़का रोज यही सोचता रहता , यदि मैं दिया जलाने नहीं गया और किसी दिन भूल गए तो राजा मुझे कैद खाने में डाल देगा। अब वो लड़का रोज जाता और वहां पर दिया करता। उस का खान-पान भी वही था, मेहनत भी वही कर रहा था, और  रोज दिया करने के लिए उस को एक और मेहनत मिल गई थी. अब एक साल गुजरने  के बाद राजा उस को वापस अपने महल में बुलता  है और कहता है अब तू मुझे उस हाथी को रोक के दिखा। जब वो लड़का उस हाथी के पास जाता है और उस को रोकने की कोशिश करता है तो उस से हाथी नहीं रुकता, ये देख कर सब लोग हैरान हो जाते हैं. वो लड़का भी हैरान हो जाता है की भला ये क्या हुआ, एक  साल पहले मैंने इस हाथी को रोक दिया और उसके बाद तो मैंने और मेहनत की है, मेरे में तो ताकत और होंनी चाहिए ,वहीं पर मेरी ताकत कम कैसे हो गई? यह सोच कर वो राजा के पास जाता है और कहता है महाराज मुझे माफ कर दीजिए, मैं वो नहीं कर पाया जो आप का रहे थे. राजा कहता है की- मुझे पता है और मैंने तुझे जान बूझ कर एक साल बाद वापस उस हाथी को रोकने के लिए कहा. जब तू पहले बार मेरे पास आया और हाथी को रोका  था तब मैंने तुम्हें देख लिया था की तुम किस  वजह से इतने ताकतवर हो इसलिए मैं तेरी परीक्षा लेना चाहता था. 

राजा यह परीक्षा लेना चाहता था- यदि किसी आदमी को तनाव दे दी जाए तो उसके साथ क्या होता है और राजा को इस का जवाब भी मिल गया. क्योंकि उस लड़के को पहले कोई टेंशन नहीं थी, इसीलिए वो इतना ताकतवर था की उस ने हाथी को रोक दिया। लेकिन राजा ने उस को सजा सुनाया  की वो एक साल तक मंदिर में दिया जलायेगा  और जीस  दिन दिया जलाना  भूल गया, उस दिन उस को कैद खाने में डाल  दिया जाएगा। अब उस लड़के को इस चीज का तनाव हो गया  और तनाव तनाव में उस की ताकत भी चली गई. रोज वही खाना खा  रहा था। उस की आहार वही थी जो पुरानी थी लेकिन फिर भी अब उस में वो ताकत नहीं रही, जो उस के बिना तनाव वाले शरीर में थी . अब उस को  तनाव शुरू हो गई इसीलिए उस के शरीर से ताकत चली गई. 

दोस्तों हमारे जीवन में बहुत सारी परेशानियां आती  है, ऐसी बात नहीं है की इस दुनिया में कोई  बिना तनाव का आदमी हो और तनाव ही आदमी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचती है. मानसिक रूप से  भी और  शारीरिक तौर  पर भी उस का शरीर भी कमजोर हो जाता है और उस का दिमाग पर भी असर पड़ता है. वह लड़का जब तनाव मुक्त था तो उस में इतनी ताकत थी और जब उस को तनाव आ गया , उस का शरीर मजबूत होने के बावजूद भी वो नहीं कर पाया जो बिना तनाव का शरीर कर रहा था.

 इस से पता चलाता  है की तनाव हमारे शरीर को कितना नुकसान पहुंचती है क्योंकि तनाव  हर आदमी को है. परेशानियां हर किसी की जिंदगी में आती  है, लेकिन जरा सोच कर देखिए- क्या हमारे टेंशन लेने से कोई परेशानी ठीक हो सकती  है? क्या वो परेशानी हमारे जीवन से जा सकती  है? जरा सोचिए आप- जब हम किसी परेशानी का  तनाव लेते हैं, बहुत ज्यादा तनाव  लेते हैं ,कोई कोई आदमी तो बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं और आत्महत्या तक कर लेते हैं. क्यों करते हैं? बस उस के जीवन में कोई परेशानी आ गई लेकिन जरा सोच कर देखिए, आप अभी जिस  किसी परेशानी की वजह से तनाव में हो, आप बहुत दुखी हो रहे हो, लेकिन इस परेशानी को थोड़े दिन में आप भूल जाओगे।  अब जरा सोचिए की आप अपने जीवन में कितनी बार दुखी हुए,  कितनी बार आप के  जीवन में परेशानी आई, लेकिन क्या आप को हर कोई परेशानी याद है?  नहीं होगी ,तो फिर हम इतना  तनाव क्यों लेते हैं? कैसी भी परेशानी हो थोड़े दिन में वो परेशानी पूरा खत्म हो जाति है. वह परेशानी हमें याद ही नहीं रहती। हम चिंता कर के अपने शरीर को इतना क्यों नुकसान पहुंचते  हैं? और यह बात शत-प्रतिशत सही है की पुराने जमाने के लोग तनाव नहीं पालते थे. उन के जीवन में जब परेशानी आती  थी तो वो तनाव  नहीं लेते ब्लकि  उस को हल  कर ने के लिए काम करते  थे। परेशानी आई तो उस को लेकर बैठ नहीं जाते क्योंकि उन को पता था की चिंता करने से कुछ नहीं होगा ,क्योंकि चिंता हमारे शरीर को चिता बना देगी,लेकिन परेशानी हमारी जीवन से नहीं जाएगी। परेशानी तो तभी जाएगी जब हम परेशानी पर काम करेंगे। हमें अपनी परेशानियां को इतना गंभीरता से लेने की जरूर नहीं है. आने वाले दिनों  में उन  परेशानियां को हम भूल जाएंगे ,हमें वो परेशानी याद करने पर भी याद नहीं आएगी। तो फिर इस परेशानी का तनाव  लेकर हम अपने वर्तमान को क्यों खराब करते हैं? भले ही आदमी अपना खान-पान कैसा भी रखे, कितना भी अच्छा, कितना भी पोस्टिक आहार खा ले यदि उस  को तनाव  है तो उस के शरीर को वो खान-पान नहीं लगेगा। वह कुछ भी खा  ले 1% भी वो खाना उस को फायदा नहीं पहुंचाएगा और  एक वहीं पर किसी आदमी को बिना पोस्टिंग आहार खिलाएं और उस को बिना तनाव  के  छोड़ दीजिए, उस के शरीर में वह भी खाना लग जाएगा और उस से भी उसके शरीर में ताकत आ  जाएगी। तनाव  हमारे  शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचती है. लेकिन अब सवाल उठाता है- इस तनाव को खत्म कैसे किया जाए? ऐसा तो कभी नहीं हो सकता ना की हमारे जिंदगी में जब परेशानी आएगी तो हम को तनाव नहीं होगा, तनाव  तो जबरदस्ती हमारे अंदर घुस जाएगी। लेकिन दोस्तों उस का भी तरीका होता है, उस तनाव को भी हम अपने अंदर आने से रोक सकते हैं. सब से पहले आप अपने मन  को मजबूत कर दीजिए, मन  में यह बात डाल दीजिए की जो आपके साथ हो रहा है वो हो कर रहेगा। आप  कुछ भी कर लो आप, उस में बदलाव नहीं कर सकते। आप अपनी परेशानियां को बिल्कुल  मुक्त छोड़ दीजिए, वह अपने आप हल  होते जाएगी, उस के बारे  में ज्यादा सोचिए ही मत. आज मैं आप को मन  को मजबूत करने के लिए कुछ सलाह बता रहा हूं, जो पुरी जिंदगी आप का साथ निभाएगी और इस को अपना लेते हो तो आप को कभी भी तनाव नहीं आएगा । तनाव  नहीं लेंगे तो हमारे शरीर में खाई हुई हर चीज हमारे शरीर को लगेगी और वह गुणकारी होगी और हमारे शरीर में बल बढ़ेगा।

1. सबसे पहले "आप उदास रहना छोड़ दें"- हम सब को जीवन में कई  प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जिस में हमें ठेस  भी पहुंचती है,लेकिन तब भी इन सभी चीजों को भूल कर खुश रहने की कोशिश करें। मानसिक रूप से मजबूत बनना  है तो अपने अंदर नई  सकारात्मक आदतें  लाए , नकारात्मक विचारों को आप अपने जीवन से जितना ज्यादा निकलोगे उतना ही आप सफलता की और बढ़ते चले जाओगे। मानसिक रूप से मजबूत बनना  है तो कभी-कभी दूसरों की नजरों में बुरा  भी बनना पड़ता है. अपनी गलतियां से सीखना पड़ता है. जो व्यक्ति एक गलती को बार-बार करेगा वह कभी भी जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। आप जब सुबह उठते हो इस से आप सकारात्मक रहना शुरू कर दीजिए।सकारात्मक विचार लाना शुरू कर दीजिए, आप यह सोचिए की मैं सकारात्मक रहूंगा, तभी मेरा शरीर बनेगा, तभी मैं मजबूत बन पाऊंगा। आप उस को एक व्यायाम की तरह ले लीजिए, जैसे की हम सुबह उठ कर कोई कसरत करते हैं, तो जो आप के सकारात्मक विचार आ  रहे हैं उस को आप यही समझ लीजिए की मैं व्यायाम ही कर रहा हूं. अपने शरीर को सकारात्मक ऊर्जा दे कर मैं व्यायाम कर रहा हूं ,मैं सकारात्मक सोच कर अपने शरीर को  ऊर्जा दे रहा हूं.क्योंकि यदि आप नकारात्मक सोचते हैं तो आप कुछ भी कर  लीजिए आप के शरीर को खाना नहीं लगे ब्लकि  वो आपके शरीर को नुकसान पहुंचाएगा। तनाव  में आप का शरीर बनेगा ही नहीं। तनाव  बहुत बड़ा श्राप है. इंसान को  अपने लक्ष्य के बरे  में हमेशा सोचते रहना चाहिए।  आप जो पाना  चाहते हैं, उस को सोचते रहिए, ऐसे सोचिए की वो मुझे मिल चुका है. यदि मुझे सफलता मिल जाति है तो उसके बाद में क्या करूंगा। आप अपने दिमाग के अंदर इस चीज को घूमते रहने दीजिये। वह सकारात्मक बातें घूमते रहने दीजिये। यदि मैं सफल नहीं हुआ तो मेरे साथ क्या होगा वो तो नकारात्मक विचार हो जाएंगे। आप को सकारात्मक सोचना है और अपने जीवन में कैसे भी हालात हो. भले आप आज बहुत ही मुश्किल हालातो से गुजर  रहे हो लेकिन याद रखना मुश्किलों के बाद ही सफलता मिलती है और जो  सफलता को आप पाना  चाहते हैं यदि उस में मुश्किलें आ  रही है तो आप सही रास्ते पर हो इसी  पर चलते जाइए। क्योंकि बिना मेहनत की मिली हुई सफलता की कोई कीमत नहीं होती, आप उस की कीमत नहीं जान पाएंगे। जितनी मेहनत कर के आप सफलता पाएंगे ,आप उतनी ही उस का कदर करोगे क्योंकि सफल होना आसन है, सफल बन कर रहना बहुत मुश्किल है. कहते है ना की पैसा कामना आसन है, हजारों तरीके हैं पैसा कमाने के, लेकिन पैसे को संभल के रखना बहुत मुश्किल है. हर कोई इस को संभल के नहीं रख सकता। अपनी ऊर्जा को इस पर बेकार में खर्च मत कीजिए। फालतू की कामों  पर अपने ऊर्जा को खर्च मत कीजिए। जहां पर आप का कोई मतलब नहीं अपनी ऊर्जा को अपने ही ऊपर खर्च कीजिए, जहां पर आप का खुद का काम हो रहा हो, फालतू का किसी के लिए अच्छा बनने की जरूर नहीं है. आप अपने लिए अच्छे हो इतना  ही काफी है। आप दूसरे लोगों को खुश करने के चक्कर में आप खुद बर्बादी की तरफ जाओगे। इसलिए अपने ऊर्जा को फालतू की बातों पर खर्च ना करें, अपने शरीर पर करें ताकि वह आप का जीवन लंबा करेगी और अपनी पुरानी बातों  को कभी याद मत करना ,यदि आप के जीवन में कभी कोई बुरी बात हुई हो तो उस को भूल जाइए उसको कभी याद मत करना और लेकिन यदि कोई अच्छी बात हुई हो तो उस को याद करोगे तो उस के साथ बुरी बातें भी याद आएगी। इसीलिए आप अपने अतीत को याद ही मत कीजिए। भूल जाइए उस को वो कोई सपना था और गुर्जर गया. आप अपने वर्तमान पर ध्यान दीजिए, आप अपने भविष्य में क्या करना चाहते हो उस पर ध्यान दीजिए। फालतू में  अतीत की जिंदगी को याद करके, आप अपना वर्तमान और भविष्य दोनों ही खराब करोगे क्योंकि वो समय ना तो वापस आने वाला है, ना आप से की हुई  कोई गलती ठीक होने वाली है. लेकिन ध्यान रखें की इस गलती से सिख कर आप  अपने भविष्य पर ध्यान दें और अपने वर्तमान को अच्छा बनाएं।

2."कभी-कभी अपने जीवन में अकेले रहिए"- अकेले रह कर खुद को संभालने की कोशिश कीजिए। खुद को समझने  की कोशिश कीजिए की मैं क्या कर रहा हूं, मैं कहां हूं और मैं कौन हूं। अपने आप पर ध्यान दीजिए हो सकता है आपके बहुत सारे दोस्तों, बहुत सारे रिश्तेदार जिन के साथ आप अपना पूरा दिन बीता रहे हो तो , दिन में थोड़ा सा समय निकालकर आप अपने आप को जान की कोशिश कीजिए, ध्यान कीजिए और शांत होकर बैठ जाइए। बिना बोले और अपने आप को जान ने  की कोशिश कीजिए,  आप अपने अंदर झांक कर देखिये की मैं कौन हूं और मैं क्या कर सकता हूं और अपनी कामयाबी के बरे  में सोचे  की मुझे क्या करना चाहिए और जब आप  अपने कामयाबी के बरे  में सोचोगे तो आप को नए-नए रास्ते मिलते जाएंगे ,उन्ही  रास्तों को सोचे  की कैसे मुझे उन रास्तों को पार करना है। आप अपने खुद पर ध्यान दोगे तो आप खुद अपने मानसिक और शारीरिक दोनों तरफ से मजबूत होंगे।

3. " कभी भी ज्यादा शौक मत पालना"- यदि आप अपने  ज्यादा शौक पलते  हो, किसी चीज का ज्यादा शौक करते हो तो वह भी आप को चिंता देगी, तनाव  देगी। हो सकता है की आप शौक में कोई बड़ी चीज लेना चाहते हो और वह आप को नहीं मिल रही तो आप जब किसी दूसरे के पास वो चीज देखोगे तो आप को उस की के बारे  में तनाव  होगी,उन के बरे  में ख्याल आएंगे की काश  यह चीज मेरे पास होती, मैं यह करता  और इसी के चलते आप के शरीर में तनाव  बढ़ेगी, तो कभी भी ज्यादा शौक मत पालना। शौक पालने वाले और  ना पालने वाले दोनों बराबर ही दिखते हैं, उन  में कुछ ज्यादा फर्क नहीं होता है. 

5. "प्राणायाम करें"- बहुत सारे प्राणायाम होते हैं, जो हमारे शरीर को मजबूत बनाते हैं. आप ऐसे वीडियो खोज सकते हैं । ध्यान करें,  योग करें और यदि आप जिम जाते हैं तो कभी भी कोई ऐसा शॉर्टकट ना अपना जिसे आप की बॉडी फुल जाए, फुलने वाली बॉडी काम की नहीं होती। यदि आप जिम छोड़ दोगे  तो थोड़े दिन में शरीर अपने आकार में वापस आ जाएगी, इसलिए शॉर्टकट ना अपनाए।  जैसा आप का शरीर है वो बहुत बढ़िया है. तो जिम जा कर बड़ा शरीर बनाने से कोई मजबूत नहीं बन जाता। मजबूती  मानसिक और शारीरिक दोनों तरफ से होनी चाहिए, बल और बुद्धि दोनों होनी चाहिए। इन दोनों में से एक चीज आप की कमज़ोर है तो आप कोई काम के नहीं हो. इस को आप ठीक कीजिए और पुराने लोग क्या खाता थे ऐसे वीडियो खोज सकते हो,  गूगल पर सर्च कर सकते हो आपको मिल जाएंगे बहुत सारी चीज जो आप को बताएंगे की क्या खाना चाहिए। 

6. "चिंता कभी ना पाले, उदास कभी ना हो"- परेशानियां हर किसी की जिंदगी में आती  है, भले उस के पास कितना भी पैसा हो,  वो भी हजारों परेशानियां से गुजर  चुका है और एक गरीब है वह भी हजारों परेशानियां से गुजर  चुका है, बस फर्क इतना है  की बड़े  लोग अपनी शौक पालते  हैं और गरीब आदमी शौक नहीं पलता।  बस इतना ही फर्क है और कोई फर्क नहीं है. 

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