Wednesday, 31 May 2023

मन को वश में कैसे करें-How to Control your mind

 
मन को वश में कैसे करें- | How to Control your mind

 जीवन में शांति से जीने के दो ही तरीके हैं  माफ कर दो उन्हें जिन्हें तुम भूल नहीं सकते और भूल  जाऊं उन्हें जिन्हें तो माफ नहीं कर सकते। और यह माफ  करने का अर्थ सिर्फ दूसरों को नहीं खुद की गलतियां  को भी माफ करना होता है.



 यह तो सच है की पैसों से  बहुत कुछ खरीदा जा सकता है लेकिन संतोष और मन की शांति को पैसों से खरीदा नहीं जा सकता। यह ऐसी  चीज है जो हमें अपने अंदर ही विकसित और धरण करनी  होती है. आज दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं है  जिनके पास अताह संपति है पर फिर भी वे लोग खुद को  कंगाल समझते हैं ,क्योंकि उनके पास
मन  की शांति  नहीं है। शांति की शुरुआत मन की मुस्कुराहट के साथ  होती है. सुख शांति प्राप्त करने का सबसे अच्छा  मार्ग मन को शांत करना होता है मन के शांति  मन से शुरू होती है और मन पर खत्म हो जाति है .
 
अगर आपकी लाइफ में शांति है आप संसार के सबसे सुखी  व्यक्ति हैं। आप अपने पिछले समय को पलट कर देखिए ,जब  आपके पास साइकिल थी तो आप स्कूटर या मोटरसाइकिल पाने  की कल्पना करते थे ,लगता था मोटरसाइकिल मिल जाए  तो अच्छा रहेगा शांति मिल जाएगी। फिर मोटरसाइकिल  भी मिल गई पर कामना का खेल देखिए उसकी इक्षा कार  तक आ गई फिर आपने एक छोटी कार खरीदी कामना की आग फिर भी शांत नहीं हो पाई। अब नए मॉडल की बड़े कार के  कल्पना करते हो, यह शायद इसके बाद मन शांत हो जाएगा।

परन्तु क्या आप ने मन की अशांत करने वाली चाल को समझा है , जो आपको लगातार विचलित करती है और कभी शांत  नहीं होने देती। इसी चल को समझने की जरूरत है। इसका अर्थ यह नहीं है की आप कामाना छोड़ दें, आप  अपने दुनिया की भौतिक सुख के लिए जो मेहनत करते  हो वह तो आपको करनी होगी, लेकिन हमें हमारे  मन की चल को समझना होगा, हमें शांति को बाहर  नहीं बल्कि अपने अंदर ढूंढनी होगी। यह कहानी  आपके मनको पुरी तरह शांत कर देगी  और आपको असली शांति का मतलब समझायेगी।

बहुत पुरानी बात है एक राज्य का राजा जिसे पेंटिंग  से बहुत प्यार था. एक बार उसने घोषणा की जो कोई भी  उसे एक ऐसी पेंटिंग बना कर देगा जो शांति को दर्शाती  हो, तो वह उसे मुँह मांगा इनाम देगा। अब यह बात पूरे राज्य में  फेल गई. सभी बड़े-बड़े लोग पेंटरों के पास जाकर अच्छी-अच्छी पेंटिंग बनवाने लगे और राजा से इनाम  पाने की चाह में वह पेंटिंग में एक भी गलती नहीं  चाहते थे और वह एक ऐसी पेंटिंग बनाना चाहते थे जो  सच में शांति को दर्शाती हो. फिर एक दिन बड़े-बड़े  पेंटर पेंटिंगों को बनाकर लाते हैं और राजदरबार में  पेस होते हैं। पूरे राज्य के लोग वहीं पर खड़े  थे और यही देखना चाहते थे की कौन सी पेंटिंग  राजा को शांति दर्शाने वाली लगने वाली है। सभी लोग  यही देखना चाहते थे की ऐसी कौन सी पेंटिंग है जो  दुनिया में सबसे ज्यादा शांति प्रदान करती  है और वही हमारे राजा को पसंद आने वाली है।


राजा ने एक-एक करके सभी पेंटिंग देखी। पहले पेंटिंग  में झरना गिर रहा था और एक साफ-सुथरी झील दिखाई देती  

है. उसके पास बहुत ही खूबसूरत फूल थे , पास बैठे पक्षी  और कुछ पक्षी आकाश में उड़ रहे थे. सूर्य पहाड़ों के  बीच से निकाल रहा था. पेंटिंग को देखकर ऐसा लग रहा था  जैसे यह सुबह का समय है. सभी राज्य के लोगों ने जब  इस पेंटिंग को देखा तो सबके मन में यही बात चल रही  थी यही पेंटिंग दुनिया की सबसे ज्यादा शांति प्रदान  करने वाली पेंटिंग है. इसे ज्यादा शांति क्या होगी  जितना खूबसूरत दृश्य एक पेंटर ने अपने पेंटिंग में  दर्शाया है. राजा ने इस पेंटिंग को एक तरफ रखवा दिया  और फिर दूसरी पेंटिंग को देखा।



दूसरी पेंटिंग में  सूर्य सोने की गोले की तरह निकाल रहा है और अपने  चमक से पूरे पहाड़ों को सोने की तरह कर दिया है। वहां पर एक झील है और झील का पानी एकदम से ठहर  हुआ है ,हवा का छोटा झोंका भी पानी को इधर-उधर  नहीं कर पा रहा है। और आसपास में हरियाली और बड़े-बड़े  पहाड़ के बीच से सोने से दिखने वाला सूर्य निकाल  रहा है. लोगों ने जब यह पेंटिंग देखी तो बहुत सारे  लोगों ने यह भी कहा की यही शांति को दर्शाने वाली  पहली पेंटिंग है और शायद हमारे राजा को यही  पेंटिंग पसंद आएगी। राजा ने इस पेंटिंग को भी  एक तरफ रखवा दिया।


तीसरी पेंटिंग में रात का समय  दर्शाया गया जिसके अंदर ऐसा लग रहा है जैसे चंद्रमा  और तारे रात में धरती को निहारने निकले हैं. और  धरती पर एक बहुत ही खूबसूरत और साफ सुथरी झील  है जो ऐसे प्रतीत हो रही है जैसे अपने अंदर आकाश  को समाये बैठी हो और उसके ऊपर एक खूबसूरत लकड़ी का  पुल बना है जो चंद्रमा को देख रहा है. यह पेंटिंग  इतनी खूबसूरत ल ग रही थी. सारे लोगों ने इसे देखकर  खूब तारीफों के पुल बांधे की हमारे राजा को यही पेंटिंग  पसंद आएगी और शायद शांति को दर्शाने वाली दुनिया की  यही पेंटिंग होगी। इसे भी राजा ने दूसरी तरफ रखवा  दिया।


फिर राजा के सामने चौथी पेंटिंग बुलाया गया. चौथी पेंटिंग को देख कर लोगों ने इसे देखना पसंद ही नहीं किया। नगर के लोगो ने कहा भला यह कौन सी शांति को प्रतीत करने वाली पेंटिंग है. इसके  अंदर तो धरती बेजान पड़ी है. रुकी सुखी लकड़ी से  बनी एक झोपड़ी है और आकाश में ऐसा दृश्य दिखे रहा  है जिसे देखकर हर व्यक्ति डर जाएगा। इस पेंटिंग  

में तो बस अशांति ही अशांति है। इसमें भला शांति को  दर्शाने वाले कौन सी चीज है. सभी लोगों ने इस पेंटिंग  को बिल्कुल पसंद नहीं किया। नगर के लोगों ने कहा की  यह सारी दुनिया में सबसे अशांत दिखने वाली पेंटिंग है,और यह पेंटिंग हमारे राजा को बिल्कुल पसंद नहीं आएगी।  फिर राजा ने कहा इसी पेंटिंग को दुनिया की सबसे शांत  पेंटिंग कहा जा सकता है.


यह बात सुनकर नगर के लोग  हैरान रह गए ,लोगों ने सोचा की भला यह कौन सी पेंटिंग  राजा को पसंद आई और भला इसमें क्या ऐसा दिखे गया, जो  पहले तीन पेंटिंग दिखी थी वह तो शांति को सही तरीके  से दर्शाती है, और भला इस पेंटिंग में राजा ने ऐसा  क्या देख लिया। फिर सारे नगर के लोग इक्क्ठे होकर राजा से  यह पूछना चाहते थे की राजा साहब आपको भला इस पेंटिंग  में शांति को दर्शाने वाला किया दृश्य दिखा आप हमें  भी बताइए, क्या हमारी आंखें वह नहीं देख पाती जो आपने  देखा है.


राजा मुस्कुराए और अपने तख्खत पर जाकर बैठ गए।  मेरी सबसे प्रिया यही पेंटिंग है और मैं चाहता था की  कोई पेंटर इसी पेंटिंग को बनाकर लाये जैसा मैंने सोचा  था। पेंटर ने ऐसी ही पेंटिंग बनाई है और मैं इस पेंटर  को मुंह मांगा इनाम दूंगा। उसके बाद नगर के लोगों ने राजा से पूछा ,राजा जी इसमे शांति को दर्शाने वाली क्या चीज है. जो हमारी आँखे नहीं देख पाते  और आप देख रहे हैं हमें भी बताइए


फिर राजा ने कहा  - शायद आप लोग शांति का असली मतलब नहीं समझते, इसीलिए  आपको इस पेंटिंग में शांति नजर नहीं आई। इस पेंटिंग  में आपने यह तो देख लिया की धरती बेजान है और ऊपर  एक भयंकर तूफान आ रहा है, और एक झोपड़ी बनी हुई है।  लेकिन जो पेंटिंग का असली मतलब है आपका ध्यान उस तरफ  नहीं गया ,जरा गौर से देखिए झोपड़ी के अंदर एक आदमी  बैठा है और वो आदमी कितना शांत है, यह आप को उस के चेहरे  को देखकर लग रहा होगा . बाहर में भले ही कितनी भी  अशांति क्यों ना हो ,शांति हमारे अंदर होनी चाहिए और  यही शांति का असली मतलब है. वह आदमी एकदम शांत बैठा  है और वहां देख रहा है ,उसे इन चीजो की कोई फिक्र नहीं  है की बाहर कितनी अशांति है और कितना भयंकर तूफान आ  रहा है. बस उसके चेहरे पर शांति साफ झलक रही है ,उसके  मन में बिल्कुल अशांति नहीं है. और शांति का मतलब यही  होता है. आप लोग इस पेंटिंग को इसीलिए नहीं समझ पाए  क्योंकि आप बाहर में शांति ढूंढते हो और मैं अंदर  की शांति पर विश्वास करता हूं. क्योंकि लोगों के पास  कितने भी पैसा या धन दौलत हो जाए यदि उनका मन शांत  नहीं है तो वो दुनिया के सबसे दुखी व्यक्ति हैं और  यदि आपके मन में शांति है तो आप अगर झोपड़ी में बैठे हो फिर  भी आप दुनिया के सबसे अमीर आदमी हो, क्योंकि हम कमाते  भी इसीलिए हैं की हम हमारे मन को शांत कर सके और  हमारा मन शांत होता है हमारे शौक से. जब हमारा शौक  पूरा होता है तो हमारा मन शांत होता है. लेकिन यह  कुछ देर के लिए ही शांत राहत है. जब हमारा यह शौक खत्म  हो जाता है, उस चीज के प्रति हमारे जो आकर्षण वह  खत्म हो जाता है, तो हम वापस अशांत हो जाते हैं.


क्योंकि  हम बचपन से देखते आए हैं की हमारा मन कैसे अशांत  होता है. जब हम छोटे थे हमारे घर वाले एक ड्रेस भी  दिल लेते तो भी हमारे सात - आठ दिन शांति से गुर्जर  जाते इस ड्रेस का शौक पूरा करते करते, लेकिन एक दिन  उसे ड्रेस का शौक खत्म हो जाता। फिर हम वह कपड़े पहनते  भी नहीं और हमारा मन वापस अशांत हो जाता। जो हमारे  घर वाले हमें बचपन में कोई खिलौना दिलाते तो हम खुश  हो जाते, यह बाहर की शांति थी और लोग जब से जन्म लेते  हैं और जब तक अपनी मृत्यु को प्राप्त होते हैं, वो  हमेशा बाहर के शांति ढूंढते हैं ,कभी भी अपने अंदर  की शांति नहीं ढूंढते। दोस्तों यदि हमें सच में सुख  चाहिए तो हमें हमारे अंदर तक झांकना होगा ,हमारे  अंदर हमें देखना होगा की हमारा मन अशांत क्यों है ,और यदि हम उस अशांत मन को सच में शांत कर देते  हैं तो हम दुनिया के सबसे अमीर आदमी बन सकते हैं।  साधु संत जो पहाड़ों में जाते हैं तो वह इसी शांति  को ढूंढने जाते हैं ना की भगवान को प्राप्त करने।  भगवान भी प्राप्त तब होते हैं जब हमारा मन शांत  हो जाता है. बाहर चाहे कितनी भी अशांति क्यों ना  हो, हमारे मन शांत होना चाहिए। उम्मीद है दोस्तों  यह कहानी आपको पसंद आई होगी।







Tuesday, 9 May 2023

सोने का सही तरीका क्या है?

 

बुद्ध और साधु संतो की गहरी नींद का राज क्या है? | सोने का सही तरीका क्या है?




यह पुरी कहानी पढ़ने के बाद आप यह बात समझ जाएंगे  की अपनी नींद के समय को कम कैसे किया जाता है, और  नींद को गहरा कैसे करना है ,और इसी के साथ सही और  गहरी नींद लेकर हम अपनी बीमारियों को कैसे समाप्त  कर सकते हैं. कैसे अपने तनाव को खत्म कर सकते हैं और सही संतुलित जीवन कैसे जी सकते हैं. सही तरीके  की नींद लेने से हमारा शरीर स्वस्थ तंदुरुस्त रहता  है और मन प्रसन्न रहता है, जिस कारण हमारे अंतर्मन  से हमेशा सकारात्मक विचारों का उद्गम होता है, और  नींद गहरी करने के लिए कुछ तरीके बताए जाएंगे तो इन सभी बातों को ध्यान से सुनते हैं और समझते  हैं- एक कहानी के माध्यम से


एक बार एक व्यक्ति बौद्ध  भिक्षु शिवालिक के पास जाता है और कहता है कि मैं  अपनी नींद के कारण बहुत परेशान रहता हूं देर रात तक मेरे मन में दुनिया भर के विचार चलते रहते हैं  चिंता और तनाव के कारण मुझे देर रात तक नींद नहीं  आती और अगर नींद आती भी है तो पुरी रात करवट बदलते हुए निकल जाती है और सुबह जब मैं उठाता हूं तो मुझे  बहुत भारी महसूस होता है मेरा सर भारी लगने लगता है  ऐसा लगता है की मैं बहुत थका हुआ हूं और अशांति का  भाव मेरे मन में रहता है इस कारण मैं बहुत परेशान  रहता हूं कृपया करके मेरी इस परेशानी का कोई समाधान  मुझे बताएं और ऐसा तरीका बताएं की मेरी नींद गहरी और स्वास्थ्यवर्धक हो। तब शिवालिक भिक्षु बोले -मैं  तुम्हें तुम्हारी समस्या का समाधान जरूर बताऊंगा  लेकिन उससे पहले मैं तुम्हें महात्मा बुद्ध की गहरी  और शांत निद्रा का रहस्य बताता हूं. इसे ध्यान से सुनना और समझना तब शिवालिक भिक्षु ने कहना शुरू किया कि जब महात्मा बुद्ध सोते थे तो वह पुरी रात्रि तक एक ही अवस्था में सोते, वह कभी भी करवट नहीं बदलते वह जिस स्थिति में सोते सुबह तक उसी स्थिति में रहते थे।


महात्मा बुद्ध के एक शिष्य जिनका नाम आनंद था।  वह हमेशा बुध के पास ही सोते थे। आनंद हमेशा एक बात का  विचार करते रहते कि महात्मा बुद्ध एक ही अवस्था  में कैसे सोते हैं। कभी-कभी मध्यरात्रि में आनंद की आंख खुलती तो वह देखते की बुद्ध उसी स्थिति में सो रहे हैं। यह बात आनंद भिक्षु के मन में बहुत सारे  प्रश्न उत्पन्न करती, लेकिन एक समय ऐसा आया कि आनंद  भिक्षु अपने मन के प्रश्नों को रोक नहीं पाए और उसी  समय महात्मा बुद्ध को जागा कर कहा महात्मा मुझे आप क्षमा कीजिए- कोई प्रश्न पूछने का यह सही समय नहीं है। आप पूरे दिन लोगों को धम उपदेश देते हैं,लोगों की समस्याओं का समाधान बताते हैं। इस कारण आपको पूरा दिन चलना पड़ता है,लेकिन मेरा मन बहुत अधिक  विचलित हो गया है मेरे मन की जिज्ञासा बहुत अधिक बढ़ चुकी है। इसलिए मैं सुबह होने का इंतजार नहीं कर सकता। महात्मा मेरे मन में उठ रहे प्रश्नों का  उत्तर देकर मेरे मन की जिज्ञासा को अभी शांत कीजिए। भिक्षु आनंद आगे बोले- मैं आपके सानिध्य में पिछले 22 वर्षों से हूँ। मैं हमेशा से आपको देखते आ रहा हूं ,कि आप पूरी रात एक ही अवस्था में नींद लेते हैं करवट भी नहीं बदलते। थोड़ा सा भी हिलते-डुलते भी  नहीं है ,तो क्या आप सोते भी है या सोते ही नहीं। तब महात्मा बुद्ध ने आनंद की ओर देखा- और मुस्कुराते  हुए बोले मैं अब सोने की सही अवस्था को समझ गया हूँ। इस अवस्था में मुझे हिलने डुलने की आवश्यकता नहीं है। मैं निद्रा अवस्था में भी जागृत ही होता हु। जबकि मेरा यह शरीर सो जाता है, लेकिन मैं फिर भी जागृत  रहता हूं। प्रश्न यह नहीं की इस अवस्था में शरीर हिलता है या नहीं। हमारा शरीर एक ही अवस्था में क्यों नहीं रह पता इसका असली कारण तो हमारा मन होता है यह मन   ही शांत और स्थिर नहीं रह पता। इस कारण से हमारा शरीर निद्रा की अवस्था में हिलता डुलता रहता है।  

महात्मा बुद्ध ने आगे कहा- लेकिन मैं इन सब चीजों  से बहुत परे आ गया हूँ। मेरे भीतर मन जैसा कुछ भी बचा ही नहीं है। जब मैं सोने के लिए जाता हूं ,तो मेरा  यह शरीर मृत शरीर जैसे हो जाता है। मन जैसा कुछ रहता ही नहीं। तो अब एक बात बताओ आनंद -क्या तुमने कभी किसी मृत शरीर को अपनी अवस्था बदलते देखा है। इन सब बातों कारण तो हमारा मन है।जो गहरी निद्रा अवस्था में भी यह सब काम करवाते रहता है।अगर एक बार तुम्हारा मन शांत हो जाता है, स्थिर हो जाता है। तब यह तुम्हारा  शरीर गहरी और आरामदायक निद्रा में चला जाता है ,लेकिन अंदर से तुम जागृत रहते हो अंदर ही अंदर तुम सब कुछ अनुभव करते रहते हो। एक छोटे से जलते हुए दिए के जैसे तुम्हारी जाग्रता लगातार चलती रहती है। सोने के बाद भी यह सब अपने आप चलते रहता है।


कहानी समाप्त करने के बाद शिवालिक भिक्षु ने उस व्यक्ति से कहा-  एक जागृत व्यक्ति अपने शरीर को ही नहीं अपने मन को भी जागृता के साथ देखते रहता है। एक जागृत व्यक्ति साधारण व्यक्ति की तरह नहीं सोता। एक साधारण व्यक्ति जब सोता है, तो वह बेहोशी में चला जाता है। उसे अपने आसपास की हलचल के बारे में पता ही नहीं होता है। इसीलिए भी तो वह व्यक्ति अपने सपनों का चुनाव भी खुद नहीं कर पता। उसे अनचाहे सपने आते रहते हैं। लेकिन जब एक जागृत व्यक्ति सोता है, तो तब भी वह जागृत ही रहता है।सोते हुए भी उसकी आंखें खुली रहती है ,जैसे सुबह जागने पर आंखें खुली है।उसी तरह सोते समय भी आंखें  खुली ही रहती है।इसीलिए कहा गया है कि जागृत व्यक्ति कभी सोते नहीं है। इन्हीं सब कर्मों की वजह से जागृत व्यक्ति को कभी कोई रोग नहीं होते। किसी भी प्रकार की व्याधि नहीं होती। अगर गलती से हो गई तो नींद में उसका शरीर उन रोगों को बीमारियों को व्याधियों को ठीक कर लेता है।


यदि अगर साधारण इंसान भी आगे बताए जाने वाली बातों का पालन करें और सही तरीके से सोने का अनुभव करें, तो उसे व्यक्ति का शरीर भी सोते समय सभी बीमारियों और व्याधियों को समाप्त कर सकता है। जब एक साधारण व्यक्ति सोने जाता है ,तो उसे व्यक्ति को यह पता ही नहीं होता की वह कब सो गया लेकिन अगर तुम जागने और सोने के बीच के उसे छोटे से पल में जब हम सोने के करीब होते हैं,जागृत रह पाओगे तो हमारे साथ बहुत ही अद्भुत घटित होना शुरू होगा। जो हमें जाग्रता के और पास लेकर जाएगा।यह सब सुनकर उस व्यक्ति ने शिवालिक भिक्षु से कहा हे - मुझे इतनी गहरी आध्यात्मिक बातें समझ में नहीं आ रही है, आप कृपया करके मुझे आसान भाषा में समझाइए कि मुझे गहरी नींद कैसे आएगी। तब शिवालिक भिक्षु ने कहा -आसानी से गहरी नींद नहीं आने के पाँच कारण है।


पहला कारण है ,हमारे सोने का बिस्तर -जैसे बिस्तर में सोने के अलावा और बहुत सारे काम करना जैसे बहुत सारे लोगों की यह आदत  बन गई है कि वह बिस्तर पर खाना खाते हैं। बिस्तर पर पढ़ाई करने बैठ जाते हैं ,और ऐसे बहुत सारे काम अपने  शयनकक्ष में करते रहते हैं. शयनकक्ष जिसका मतलब ही ये होता है कि सिर्फ सोने की जगह।लेकिन आजकल लोग इसे अधिकतर अन्य कामों के लिए प्रयोग में लेते हैं। जिस कारण हमारे मन मस्तिष्क में शयनकक्ष का एक निश्चित तथ्य नहीं रहता। इस कारण जब हम बिस्तर में सोने के लिए जाते हैं ,तो हमारा मस्तिष्क यह बात पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पता कि अब सोना है ,क्योंकि आपने इसी स्थान पर अन्य कई सारे कामों को करने की आदत बना ली है। और अगर हम आज के समय की बात करते हैं, तो हम मोबाइल भी बिस्तर में लेटे हुए चलाते रहते हैं।अपने ऑफिस का काम भी आजकल हम बिस्तर में करने लगे हैं।अब हमें चाहे कोई मूवी देखना हो, वीडियो  गेम खेलना हो, गप्पे मारना हो। लोग अपना बहुत सारा समय बिस्तर पर लेटे हुए गुजारने लगे हैं। जिस कारण से हमारे मस्तिष्क के लिए बिस्तर सिर्फ एक सोने की जगह  नहीं रही है, और ये सब बातें एक बहुत बड़ा कारण बनती है कि बिस्तर पर लेटे हुए हमें घंटे तक नींद नहीं आती. शिवालिक भिक्षु आगे बोले बौद्ध मठो में कोई  भी भिक्षु सुबह सोकर उठते ही अपने बिस्तर को छोड़  देते हैं, और दोबारा सोने के लिए रात में ही बिस्तर में जाते हैं। इस कारण उनके मन मस्तिष्क को यह पता रहता है, कि बिस्तर पर लेटने का मतलब है कि आरामदायक गहरी निद्रा में जाना।


गहरी नींद नहीं आने का दूसरा कारण है सोने का निश्चित समय नहीं होना। अगर तुम सुबह जल्दी उठना चाहते हो, पुरी नींद लेकर उठाना चाहते हो तो तुम्हें रात में एक निश्चित समय पर और जल्दी सोने की आदत बनानी होगी। बौद्ध मठो में रहने वाले भिक्षु सोने से दो घंटे पहले हल्का और सुपाच्य भोजन करते हैं, और हर रात को एक निश्चित समय पर सोते हैं, और इस तरह से वह सब एक सुनिश्चित तरीके से पूरी दिनचर्या का पालन करते हैं। मेरे दोस्तों- अगर हम आज की लाइफस्टाइल की बात करेंगे, तो हमारा ना सोने का समय निश्चित है और ना ही उठने का। आजकल लोग इस बात का ध्यान रखना ही भूल गए हैं, कि रात्रि  का भोजन हल्का और सुपाच्य होना चाहिए।थोड़ा कम ही होना चाहिए।बल्कि आज के समय में लोगों का मुख्य खाना रात्रि के समय में ही होता है। सप्ताह के अंत में लोग बहुत देर से सोकर उठते हैं, क्योंकि उन्हें पता  होता है कि अगले दिन छुट्टी है, समय और जीवन में कोई तालमेल ही नहीं बचा है, और अगले दिन यही लोग उठते ही थकान और कमजोरी महसूस करते हैं।योग इस दुनिया में तो नींद को चमत्कारिक समझा जाता है। अगर आप अपनी नींद को समझ जाते हैं, तो अपने अंदर बहुत कुछ बना सकते हैं और अपनी सभी बीमारियों को और व्याधियों को ठीक कर सकते  हैं। अगर इसी नींद को नहीं समझते तो बहुत कुछ बिगड़ जाता है, और आप अनेक रोगों ,बीमारियों और व्याधियों से ग्रसित होने लगते हैं।


शिवालिक भिक्षु आगे बोले- रात में गहरी नींद ना आने और सुबह अच्छा और स्वस्थ महसूस ना करने का तीसरा कारण है, सोते समय नकारात्मक विचारों के बारे में सोचते हुए सोना। आप रात को जिन  विचारों को दोहराते हुए सोते हैं। वैसे ही विचारों के साथ आप सुबह उठाते हैं। इसीलिए नकारात्मक विचारों के साथ बिस्तर में नहीं सोना चाहिए, क्योंकि जब हमें नींद आने वाली होती है उस समय हमारा अवचेतन मन सबसे अधिक सक्रिय होता है। उस वक्त हमारे विचार नकारात्मक हो या सकारात्मक हमारा अवचेतन मन उन विचारों को स्वीकार करके उन बातों को और चीजों को वास्तविक रूप देने में लग जाता है। हमारा अवचेतन मन सही और गलत विचारों को समझ नहीं पता। जो विचार हम बार-बार करते हैं,और अपनी भावनात्मक प्रतिक्रिया देते हैं, फिर वो विचार हमारे हित में हो या अहित में,  अवचेतन मन उन्हें पूर्ण रूप देने में लग जाता है, इसीलिए हमें सोते समय अपनी समस्याओं, परेशानियों और तकलीफों के बारे में सोचने की बजाय अपने लिए अच्छी बातों और अच्छी चीजों के बारे में सकारात्मक विचारों के साथ सोना चाहिए। हमेशा ही सोने से पहले और उठने के बाद उन्ही बातों का विचार करो जो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए।


अच्छी और गहरी नींद नहीं आने का चौथा सबसे महत्वपूर्ण कारण है,- हम गलत तरीके से सोते हैं बौद्ध भिक्षु शिवालिक आगे बोले- जम्बु द्वीप जो की अब भारत है, इस देश में कहा जाता है कि उत्तर दिशा की ओर सर रखकर नहीं सोना चाहिए। इसका महत्व पूर्ण कारण यह है उत्तर दिशा यानी धरती का ऊपरी हिस्सा होने के कारण चुंबकत्व अधिक होने से अगर उत्तर दिशा की ओर सर रखकर सोते हैं, तो हमारे शरीर में रक्त प्रवाह सर की ओर अधिक होने लगता है हमारे मस्तिष्क की रक्त की नसें बेहद पतली होती है इस कारण से उनके फटने का  डर बना रहता है. अगर कोई व्यक्ति बहुत कमजोर है  या बुजुर्ग है तो उसकी मृत्यु होने का खतरा भी  रहता है. लेकिन साधारण बात यह है की उत्तर की ओर सर  रखकर सोने वाले लोग सुबह उठाते हैं तो एक प्रकार का  तनाव और सर दर्द महसूस करते हैं और उनकी पुरी रात  बेचैनी और करवट बदलने में गुजरती है. एक और गलती  लोग यह करते हैं की वह किसी भी अवस्था में सो जाते  हैं, वह इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं की उनका  मेरुदंड याने रीड की हड्डी सीधी है या नहीं। अक्सर  लोग कैसे भी सो जाते हैं या अधिकतर लोग पेट के बाल  सोते हैं, जबकि हमें हमेशा सीधे सोना चाहिए या फिर  बाई करवट पर ही सोना चाहिए इससे शरीर के अंगों पर  अतिरिक्त खिंचाव नहीं पड़ता। सोते समय ज्यादा मोटे गद्दे का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इससे आपके शरीर की  

रीड की हड्डी मूडती है और आपकी गहरी नींद में  रुकावटें आने लगती है. साथ ही साथ ज्यादा मोटे  

तकिए का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इससे आपकी गर्दन  ज्यादा मुड़ जाती है और लंबे समय के बाद आपकी गर्दन और नसों की परेशानियों बहुत अधिक बढ़ जाती है, इससे भी आपकी गहरी नींद में रुकावट आती है, जिस कारण  भी आपका शरीर तनाव महसूस करता है.


देर रात तक नींद  नहीं आने और नींद में बेचैन रहने का पांचवा कारण है - अधिक मात्रा में तले हुए और मसाले युक्त भारी भोजन  करना। अगर आप रात्रि में सोने से पहले अधिक तले हुए  और भारी भोजन करते हैं तो इससे हमारी नींद पर गहरा  असर पड़ता है क्योंकि इस तरह का भोजन पचाने के लिए  शरीर को अधिक समय लगता है और साथ ही अधिक ऊर्जा खर्च  करनी पड़ती है. इस कारण अगर आप ऐसे भोज्य पदार्थ का  सेवन करना चाहते हैं तो सोने से दो से तीन घंटे  पहले ही ऐसे पदार्थ खा लेना चाहिए और संतुलित मात्रा  में खाना चाहिए।


इतना सब सुनकर उसे व्यक्ति ने कहा - मैं यह सब समझ गया हूं की नींद ना आने के क्या  कारण है, लेकिन क्या आप ऐसे कुछ उपाय बता सकते हैं  जो गहरी नींद लेने में सहायक हो. तब शिवालिक भिक्षु  ने कहा अब मैं तुम्हें कुछ ऐसी क्रियाएं बताना चाहता हूं  जिन्हें तुम सोने से पहले और उठने के बाद कर सकते हो , जिसे करने से तुम्हारी नींद गहरी होगी और साथ ही  साथ तुम्हारे जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आएंगे।  


इनमें से जो दो-तीन काम जो तुम्हें उपयुक्त लगे कर  सकते हो-

सबसे पहले हो सके तो सोने से पहले गुनगुने  पानी से स्नान करना चाहिए स्नान करने से हमारा शरीर  तनाव मुक्त और जागृत हो जाता है. तुमने यह देखा ही  होगा की जब कोई व्यक्ति स्नान करके आता है तो उसके  अंदर से एक सकारात्मक ऊर्जा निकलते हुए महसूस होती  है, वह व्यक्ति ज्यादा खुशनुमा और तनाव मुक्त लगता है.  इसका कारण यह है- हमारा पूरा शरीर अधिकतर पानी से बना  है और पानी हमारे शरीर का अभिन्न हिस्सा है।


सोने से  पहले हो सके तो तेल या घी का दीपक जलाना चाहिए इससे  हमारे शयन कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता  है. सोने से पहले आधा गिलास या कम से कम थोड़ा पानी  पीना चाहिए।


जब आप सोने के लिए बिस्तर में जाते हैं  तो सोने से पहले 5 से 10 मिनट ध्यान करना चाहिए और  उन सभी चीजों के लिए धन्यवाद करना चाहिए जो चीज आपके  पास है और अपने दिन भर के अच्छे कामों के बारे में  विचार कीजिए जो आपने किए हैं. सोने से पहले यह विचार  करें की यह शरीर नाशवान है कभी भी मृत्यु हो सकती है  ऐसा विचार करने से आप अपनी छोटी समस्याओं के बारे  में परेशान रहना छोड़ देंगे।


जब आप सुबह सोकर उठने  वाले होते हैं तब अपने दोनों हाथों की हथेली को आपस  में रगड़ कर अपनी आंखों पर रखना चाहिए, इससे आपका मन  और शरीर जागृत हो जाता है. हमेशा ही रात्रि में जल्दी  सोने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे आप सुबह जल्दी और गहरी नींद लेकर उठ सको। यह सभी तरीके बहुत प्रभावशाली  और असरदार है. इन उपायों से आप अपनी नींद को  गहरा और आरामदायक बना सकते हैं. गहरी,आरामदायक, सही तरीके की नींद से तुम्हारे अधिकतर रोग और  व्याधियों समाप्त हो जाती है. उसे व्यक्ति ने इन  सभी बातों के लिए शिवालिक भिक्षु को धन्यवाद कहा  और प्रणाम किया।


Wednesday, 28 December 2022

THE DOCTRINE OF MAYA

 

THE DOCTRINE OF MAYA


In the Philosophy of the Vedanta


By

PRABHU DUTT SHASTRI


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