Saturday 24 June 2023

मन को खाली करना जानो

 

मन को खाली करना जानो - Clear Your Mind | Empty Your Mind




दोस्तों हमारा मन कभी भी विचारों से खाली नहीं  राहत। हमारे मन में हमेशा विचार चलते रहते उठते -बैठते ,खाते-पीते  हमारा मन कभी भी विचारों से खाली नहीं राहत। लेकिन  क्या कोई ऐसा तरीका है जिसे की मनके विचारों को  रोका जा सके. हमारे मन को विचारों से खाली किया जा  सके. आज की कहानी से आप बहुत ही सरल तरीके से  समझ पाओगे की मन को कैसे खाली किया जाए और मन को  अपने वाश में कैसे किया जाए तो चलिए शुरू करते हैं।


एक गुरु का एक शिष्य बहुत ही गहन ध्यान कर रहा था  लेकिन उसका ध्यान नहीं लग रहा था. उसका मन हमेशा विचारों से भरा राहत, उसने अपने मन को  खाली करने की बहुत कोशिश की लेकिन उसकी सारी कोशिश नाकाम हो चुकी थी। तब वो अपने गुरु के पास गया  और उसने अपने गुरु से कहा- गुरुदेव मेरा मन हमेशा विचारों से भरा राहत है। मेरा ध्यान एक  जगह नहीं लग पाता, जब मैं ध्यान करने बैठता हूं  तो मेरा ध्यान दूसरी चीजों पर पहुंच जाता हूं, फिर तीसरी  बार, फिर चौथी पर. ऐसे करते-करते मेरे मन में  हजारों विचार चलते रहते हैं और यह कब होता  है मुझे पता भी नहीं चला. बहुत देर बाद मुझे  इस चीज का एहसास होता है की मैं क्या करने बैठा  था और क्या कर रहा हूं.


गुरुदेव मैं अपने मन को विचारों से खाली कर देना चाहता हूं, मैं चाहता हूं  की मेरे मन में एक भी विचार ना आए. जब मैं चाहूं  मेरे मन में विचार उत्पन्न हो. गुरु ने कहा किसी  भी समस्या का समाधान तब निकलता है जब हम समस्या  की जड़ तक पहुंचते हैं, समस्या को ठीक से समझते  हैं और उसको जानते हैं. जीस मन को तुम खाली करना  चाहते हो क्या तुमने इस मन को थोड़ा बहुत भी जाना  है. गुरुदेव मन को जान्ने की बहुत कोशिश की लेकिन मैं  जितना जानना चाहता हूं यह मन उतना ही रहस्मयी होता जाता है।  


गुरू ने कहाँ जाओ एक घड़े को छोटे-छोटे पत्थरों से भरकर लेकर आओ.  फिर शिष्य उसे घड़े में छोटे-छोटे पत्थर भर के लेकर आता है  और गुरु के पास रख देता है. गुरु ने कहा इस घड़े को  

तुम अपना मन समझो और इस घड़े में पड़े पत्थरों  को अपने विचार ,अब इस घड़े में और पत्थर डालना शुरू  करो। घड़ा पहले से भरा हुआ था तो थोड़े से ही पत्थर  डालने के बाद वह पत्थर नीचे गिरने लगे तब गुरु ने कहा - अब ध्यान से देखो अब घड़े में पत्थर नहीं समा रहे  हैं बल्कि वह नीचे गिर रहे हैं, क्योंकि यह भर गया.शिष्य तुरंत गुरुदेव से कहा गुरुदेव मैं समझ गया की आप  क्या बताना चाहते हैं, आप बताना चाहते हैं की हमें अपने मन को विचारों से खाली कर देना चाहिए। गुरु  मुस्कुराने लगे और गुरु ने कहा पहले पुरी बात समझ  लो उसके बाद मन को खाली कर देना। गुरु ने कहा हमारा  मन इस घड़े के बिल्कुल उल्टा है घड़े को तुम पत्थर  से भर सकते हो लेकिन मनको विचारों से नहीं भर  पाओगे ,मन हमेशा खाली ही राहत है. गुरुदेव मैं कुछ  समझ नहीं का रहा हूं, मन अगर हमेशा खाली राहत है  तो हमें मन को खाली करने की क्यों जरूर पड़ती है. मन  खाली करने के क्या आवश्यकता। गुरु ने कहा इस घड़े  से सारे पत्थर को एक-एक करके बाहर निकाल दो. 


शिष्य ने ऐसा ही किया, एक-एक करके पत्थर निकालना शुरू  किया, अंत में वो घड़ा खाली हो गया. गुरु ने कहा देखा तुमने एक-एक पत्थर को बाहर निकाला तो वो घड़ा खाली  हो गया. अब तुम इस खड़े में कोई भी पत्थर डाल सकते  हो, दूसरे पत्थर भी डाल सकते हो या इन्हीं पत्थरो को  दोबारा डाल सकते हो ,आधा भर सकते हो या फिर इसे पूरा  भी भर सकते हो. शिष्य ने कहा गुरुदेव मैं भी तो यही का  रहा हूं की मन को खाली करना है यह पत्थर है उन्हें  आसानी से निकाला जा सकता है और घड़े को खाली किया  जा सकता है लेकिन मैं अपने मन को कैसे खाली करूं।  


गुरु ने कहा इस खाली घड़े में एक पत्थर डालो और  दो पत्थर निकालो। शिष्य ने कहा ऐसा कैसे हो सकता है।  गुरुदेव जब इस गाड़ी में दो पत्थर होगा तभी तो दो  पत्थर निकलेगा ,भला एक डालकर दो कैसे निकालूं। गुरु  ने कहा चलो तो ऐसा करो घड़े में दो पत्थर डालो और  चार पत्थर निकालो। शिष्य ने कहा गुरुदेव ऐसा कैसे हो  सकता है. यह कोई चमत्कारी घड़ा थोड़ी ना है जो एक  डालोगे तो दो निकलेंगे और दो डालोगे तो चार निकलेगा।  


गुरु ने कहा घड़ा चमत्कारी नहीं है लेकिन तुम्हारा  जो मन है वो चमत्कारी है इसमें सिर्फ तुम एक विचार  निकलोगे तो इसके पीछे दो विचार निकलते हैं, जब तुम  दो निकलोगे तो चार निकलते हैं और जब तुम चार निकलोगे  तो 16 निकलते हैं और ऐसे ही करते करते विचारों की एक  लंबी श्रृंखला बन जाति है और तुम यही नहीं रुकते  एक के बाद एक विचार को पढ़ते जाते हो। यह मिट्टी  का घड़ा तो पत्रों से भर जाएगा लेकिन तुम्हारा मन कभी नहीं भरत वह हमेशा खाली और खाली ही राहत है यह  मन की माया है की सब कुछ है लेकिन फिर भी कुछ नहीं।


मैं आपकी बात को समझ रहा हूं लेकिन क्या मैं हमेशा  अपने विचारों के जाल में फंसा रहूंगा क्या? मन की  माया से बाहर निकालने का कोई रास्ता नहीं है.  गुरु ने कहा इस मिट्टी के घड़े को आधा पत्थरों  से भर दो शिष्य ने ऐसा ही किया ,फिर गुरु ने  कहा अब इन पत्थरों में से कोई एक पत्थर को चुनो और  उस पत्थर की एक छोटी सी मूर्ति बनाकर मुझे दो,  मैं जानता हूं की तुम एक अच्छे कलाकार हो। शिष्य  ने एक पत्थर निकाला और उसे पत्थर को तरासने लगा ,फिर  उसे लगा की यह पत्थर अच्छा नहीं है तो उसने तुरंत  दूसरा पत्थर निकाला, उसे उस पत्थर में भी उस को मजा  नहीं आया फिर उसने तीसरा पत्थर निकाला उस का रंग उस को  

अच्छा नहीं लगा फिर उस ने चौथ पत्थर निकाला लेकिन  उसे उस पत्थर में भी उसे कुछ खास नजर नहीं आया.


फिर गुरु ने कहा - जीस पत्थर को तुमने पहले बार निकाला था उस पत्थर  को यह समझकर तरासो की अब तुम्हारे आस पास कोई और  पत्थर नहीं है. तब शिष्य ने उसे पत्थर को तरासना शुरू  किया और उस पत्थर से अपने गुरु की एक अति सुंदर  मूर्ति बनाई और और शिष्य ने गुरु से कहा इस पत्थर   से इतनी सुंदर मूर्ति बन सकती है मैं यह सोच  भी नहीं सकता था. तब गुरु ने कहा जब हमारे पास  विकल्प नहीं होता तब हमारे पास जो भी होता है  ,हम इस में अपनी संपूर्ण ऊर्जा लगाते हैं और इस  से सब से बेहतर बनाते हैं और जब विकल्प होता है  तब हम बस पत्थर को चुनते ही र जाते हैं, मूर्ति  नहीं बन पाती। हमारा मन भी हमारे लिए के विचार  के पीछे हजारों विकल्प खोल देता है और हम एक मुख्य  विचार को छोड़कर उन हजारों विकल्पों में फैंस जाते है।  मैं आपकी बात को अच्छी तरह समझ रहा हूं लेकिन  अब मुझे क्या करना चाहिए मेरा मार्गदर्शन करें।


अपने ध्यान को एकत्रित करो एकाग्रता लो और जो कर रहे  हो उसे अंतिम समझ कर करो ,ऐसे करो की इसके बाद तुम्हें  कुछ नहीं करना और जब दूसरे विचार पर कार्य करो तब  केवल इस पर कार्य करो किसी तीसरी विचार पर मत जाओं।   


मन के मायाजाल से निकालना इतना आसन नहीं है लेकिन  अभ्यास करने से सब कुछ पाया जा सकता है. गुरुदेव मैं  ऐसा ही करूंगा, यह बात समझने के लिए आपका बहुत-बहुत  धन्यवाद गुरुदेव। यह का कर शिष्य वहां से चला जाता  है.


दोस्तों हम सब अपने मन को खाली करने का प्रयास  करते रहते हैं. हमारे मन में जो विचार उठाते रहते  हैं उससे हम परेशान रहते हैं, हम चाहते हैं की यह  विचार कही चले जाए और हम शांत हो जाए लेकिन हम  जितना इन विचारों से भागते हैं यह विचार हमें उतनी  ही जोर से पकड़ लेते हैं क्योंकि हम विचारों को शांत  करने के लिए विचारों का ही उपयोग करते हैं और जिन  विचारों का उपयोग करते हैं वह विचार आपके उन्ही  विचारों से जुड़े होते हैं जिन विचारों को आप छोड़ना  चाहते हो और वह विचार आपको छोड़ना नहीं चाहते तो यह  कैसे संभव होगा की आप शांत हो जाएंगे। यह तभी संभव  हो सकता है जब आप शांत होने की कोशिश भी छोड़ दें  और अपने समस्या के समाधान पर ध्यान दें, एकाग्रता  ले, ध्यान लगाएं और इस बात को समझे की चिंता करने  से समाधान नहीं मिलेगा, चिंतन करने से समाधान मिलेगा। दोस्तों हम अपने मन को शांत कर सकते हैं.


कुछ तरीके  आप अपना सकते हो- जैसे की


1. अपने विचारों को लिखकर  व्यक्त करें। यदि आपके मन में विचारों का सैलाब  उठ रहा है तो उन्हें लिख लेने से आपको सहायता मिलेगी। स्वतंत्र रूप से लिखना शुरू करें। आप कैसा महसूस कर  रहे हैं क्यों महसूस कर रहे हैं और इसके लिए आप  क्या करना चाहते हैं. यह सारी जानकारी निकाले आपके  पास कोई ऐसा ठोस करण होगा जिस के बरे में आप सोच  रहे हो. इस तरह आपको एक बड़ी उपलब्धि के पाने जितनी  खुशी महसूस होगी फिर भले ही आपने कुछ ना किया हो. इस  रोचक योजना की मदद से आप पुरी तरह से अपने विचारों  को बाहर निकाल सकेंगे। अपनी सारी परेशानियो को एक  पेपर पर लिख ले, यह आप को क्यों परेशान कर रहे हैं।  इस पर विचार करें फिर उसे मोड कर बाहर फेक दें  जी उसे पेपर को फेक दें. और लोगो में पाया गया  है जो लोग अपने विचारों को पेपर पर लिखकर फेक देते  हैं वे उन्हें अपने मन से बाहर निकाल पाते हैं और  बाहर निकालने में वो कामयाब हो जाते हैं और ऐसे लोग  बहुत कम चिंता करते हैं।


2. पहले की बातो को याद  ना करें, बीता हुआ कल कभी भी नहीं आता लेकिन बीते हुए  कल को याद कर ने से मन बेचैन जरूर हो जाता है और फिर  मन को शांत और दिमाग को शांत करना बहुत मुश्किल हो जाता है. ऐसे में अगर किसी की बीते हुई कल में कुछ  बुरा या अच्छा हुआ हो तो उसे याद नहीं करना चाहिए। जब  भी बीते हुेए कल को याद किया जाता है तब तब मन शांत  से बेचैन हो जाता है.


3. अपने सफलता को देखें  जो आप ने अपनी जिंदगी में पाया है. उस के बरे में  सोचे ना की आप को उस बारे में सोचना है जिस  में आप को असफलता मिली। आप ने अपनी जिंदगी में कुछ तो  किया ही होगा जिस में आपको सफलता मिली हो, आप  उसके बरे में सोचें। हमेशा सकारात्मक बातें सोच.


4. अपनी नींद पुरी करें। पुरी नींद ना लेना भी आपके  मन को बेचैन कर सकता है। दिमाग को अशांत कर सकता है।  नींद एक बहुत ही जरूरी हिस्सा होती है शरीर के लिए  लेकिन जब पुरी नींद नहीं होती तो बहुत ही मुश्किल  हो जाति है. अगर सही तरीके से पूरा नींद ना लिया  जाए तो मन बेचैन रहत है. इसीलिए कम से कम 8 घंटे  की नींद जरूर ले.


5. समय-समय  पर आप बाहर घूमे। एक स्थान पर रहने पर मन में बेचैनी  बाढ़ जाति है और मन भी नहीं लगता , मन में तरह-तरह की बेचैनी होने लगती है. अपने मन को  शांत करने के लिए समय-समय पर बाहर घूमते रहना चाहिए  घूमने से हम सभी चिंता को कम कर देते हैं. हम यह भूल  जाते हैं की हमें किसी प्रकार की चिंता है या किसी प्रकार का कोई काम है.



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