Thursday 29 June 2023

जीवन के सभी सुखों का एक मंत्र

जीवन के सभी सुखों का एक मंत्र 


यह  कहानी इतनी खूबसूरत है आपको बेहद पसंद आएगी।  इस कहानी से मैंने सीखी थी आप की कामयाबी, आपके घर में सुख शांति और आपका स्वस्थ रहना। आदमी के शरीर को, आदमी के जीवन को लगे वाले दुखों का निवारण ये कहानी है। इस कहानी  में पुरी दुनिया का ज्ञान और पुरी दुनिया के परेशानियां का समाधान इन चार  बातों  में बताया गया है. 

बहुत पुरानी बात है एक नगर का सेठ  बहुत ही ज्यादा धनवान था ,उस सेठ ने अपने जीवन में बहुत बड़े-बड़े मुकाम हासिल किया,  उसको हमेशा  कामयाबी मिल जाति, वह कभी हारा  नहीं,  उसका व्यापार जोरो सोरों से चल रहा था. उसने अपने पिताजी से वह चार  बातें सिख रखी थी और उन  बातो  का अनुसरण करते हुए उसने अपनी पुरी जिंदगी काटी। अब वह काफी बुढा  हो चला था।  सेठ को पता था अब मैं बहुत बुढा  हूं और मेरी मृत्यु कभी भी हो सकती  है और मेरा बेटा इतना ज्ञानी नहीं है. मेरा बेटा मेरे जैसा व्यापार नहीं चला पाएगा। इसीलिए वो एक बार अपने बेटे को अपने पास बुलाता  है और कहता है, मैंने अपने पिताजी से चार  बातें सीखी , और उन बातों  का मैंने पुरी जिंदगी अनुसरण किया और नतीजा तुम्हारे सामने है. आज मैं इस नगर का सबसे बड़ा सेठ  हूं और मैं चाहता तो आस पास के इलाके में भी अपना व्यापार फैला सकता था. लेकिन मैं इतने में खुश हूं और मैं चाहता हूं की तुम इतने में ना रहो, तुम और ज्यादा आगे बढ़ो। लेकिन उस को पता था की उसका बेटा बहुत भोला है. उसके बेटे को इतना इस दुनियादारी के बारे  में पता नहीं है. इसीलिए उसने  ने अपने बेटे को पास में बैठा कर चार बातें बताई की बेटा आज मैं तुम्हें जिंदगी की सबसे अच्छी  बातें बता रहा हूं. इन चार  बातों  का अपने जिंदगी में अनुसरण करते रहना।  इन चार  बातों  को अपने जीवन में उतार देना, तुम कभी भी नहीं हारोगे, ना कभी परेशान होगे , ना तुम्हारे पास कोई दुख आएगा, ना तुम्हारे घर में कोई क्लेश आएगा,  ना तुम्हारे साथ कोई झगड़ा करेगा, ना व्यापार में हानी होगी, ना तुम्हारे घर परिवार में कभी क्लेश होगा।  चार  बातों  को याद रखना। उसके बाद वह सेठ कहता है की 

1)सबसे पहले बात - जब भी अपने काम पर जाओ  तो छांव में जाना और छांव में ही वापस आ  जाना, कभी भी धूप में काम पर मत जाना, छांव में जाना।

2)दूसरी बात अपने घर के चारों तरफ चमड़े की सीमा करना।
 
3)तीसरी बात हमेशा मीठा करके खाना और
 
4)चौथी बात अपनी पत्नी को बांधकर पीटना।


अब उस सेठ के बेटे ने चारो  बातों  को सुना और उन बातों का अनुसरण करने  लगा. जैसे उस ने सुनी  थी. वैसे ही सेठ को पता था की यह जरूर इन चार  बातों  का अनुसरण करेगा और इन चार बातो  का मतलब भी समझेगा। उसके थोड़े दिन बाद उस सेठ की मृत्यु हो जाति है. अब वो उन का बेटा चार बातों  को अपने एक कागज में लिखता  है और उन चार  बातों  पर ही चलना शुरू कर देता है. सबसे पहले बात उसके पिताजी ने बताई थी की बेटा छाँव  मैं जाना और छाँव  में ही वापस आना. उसने अपनी जो दुकान थी वहां से घर तक, उसने तंबू लगा  दिया क्योंकि पैसा तो बहुत था तो तंबू लगा  दिया की, मुझे धूप में काम पर नहीं जाना है क्योंकि मेरे पिताजी ने धूप में काम पर जाने  को माना किया है. इसीलिए उसने तंबू लगता दिया ताकि धूप आए ही ना.

 दूसरी बात उसके पिताजी ने बोली थी की अपने घर के चारों तरफ चमड़े की बाड  करना तो उसने चारों तरफ चमड़े की सीमा ही करवा ली. अब आस पास लोग बोलने लगे की भाई बदबू आ  रही है. यह तुमने क्या कर दिया,  अपने घर में कोई चमड़े की बाड करता है. चमड़ा  तो बहुत बदबू देता है लेकिन उसके पास बहुत पैसा था इसलिए कोई आदमी उस का विरोध नहीं कर पाया क्योंकि उस बेटे को तो अपने पिताजी की कहीं हुई बात  पर ही चलना था.

 तीसरी बात थी की मीठा करके खाना , इसीलिए अपनी बीबी से हर रोज वो मीठा भोजन ही बानवाता। वह  खीर, बहुत साड़ी मिठाइयां यही सब खाता रहता।

 और चौथी बात यह की अपनी पत्नी को बांधकर पीटना- तो वो अपनी बीबी को बांध कर ही पिटता , कभी भी ऐसे हाथ नहीं उठाता। अब धीरे-धीरे सेठ  के बेटे का जीवन पुरी तरह बर्बादी की तरफ चला गया। क्योंकि चार बातें जैसे उसके पिताजी ने बताई थी, वैसा वह नहीं चल पा  रहा था. उसको समझ ही नहीं था की उसके  पिताजी क्या कहना चाहते  है. अब वह अपनी मर्जी होती तो वह दुकान पर जाता,जब मन नहीं होता तो नहीं जाता,धीरे धीरे उसके ग्राहक छूटने लगे  तो उसका व्यापार धीरे-धीरे  ठप हो चुका था, वो पुरी तरह बर्बाद हो गया ।  दुकान बहुत धीरे चल ने लग गई और उसके चमड़े की बाड  के करण आस पास में बदबू फैल गई. इसीलिए उसके घर के आसपास जो पड़ोसी रहते थे वह भी अब उस को छोड़ कर चले गए और उसके घर में कोई आता भी नहीं था. आता भी कैसे भला चमड़े  की इतनी बदबू आती  थी की उसके घर में कोई मेहमान नहीं आते और हमेशा मीठा भोजन  खाता। उसे चक्कर में उसने अपना पूरा शरीर ही बेकार कर दिया, शरीर में बहुत ज्यादा वजन बढ़ गया क्योंकि मीठा भोजन तो शरीर के लिए जहर की तरह होता है. उस को  तरह-तरह बीमारियां आने लगे. हर रोज वो दवाइयां पर चलना शुरू हो गया. डॉक्टर की टीम अपने पास रखना लगा उसके चलते उसका पैसा भी बर्बाद हो ने  लगा ,खाने की वजह से उसको और ज्यादा बीमारियां लगने  शुरू हो गई। 

और चौथी बात के अनुसार वह अपनी पत्नी को बांधकर पिटता , उस चक्कर में  उसकी पत्नी उसको छोड़कर अपने मायके चली गई. अब वह वापस आने का नाम ही नहीं ले रही थी , क्योंकि वह  अपनी पत्नी को बांधकर पिटता था , भला वो औरत उस के साथ  कैसे रह सकती थी।  अब उसे सेठ के बेटे का जीवन पुरी तरह बर्बाद हो गया, कुछ भी नहीं बचा  उसके पास. इसी को एक बार वो सोच रहा था और उसने कहा की मेरे पिताजी ने मुझे कैसे गलत बातें सिखाई। मेरा पूरा जीवन बर्बाद हो गया भला कोई  ऐसा करता है की अपने औलाद के साथ। मुझे ये बातें क्यों सीखा कर गए जो मेरा पूरा जीवन बर्बाद कर गई और भला वो तो मुझे यह कह  रहे थे की मैंने अपने पिताजी से यह बातें सखी थी। भला इस बातों  पर चलकर जीवन कैसे अच्छा किया जा सकता है. यह  साफ बता रही है की यह बातें  गलत है और मैंने भी मूर्खतापूर्ण अपने पिताजी की बात मान ली. ऐसी वह विचार करता रहता  और रोज परेशान होता रहता  की कैसे गलती से मैंने अपने पिताजी की बातें मान  ली.

ऐसे ही सोचते हुए एक बार वो एक साधु के पास जाता है और कहता है साधु बाबा अब बस आप का आसरा  है आप मुझे बचा  लीजिए क्योंकि मेरी पुरी जिंदगी बर्बाद हो गई और उसका करण है मेरे पिताजी। मेरे पिताजी ने मुझे जो कहा वो मैंने  किया और मैं एक अच्छा बेटा बन कर रहा.  अपने पिताजी की हर बात मानता और वह चले गए. जाने से पहले  उन्होंने मुझे चार बातें सिखाई और मैं अपनी पुरी जिंदगी में इसका अनुसरण करता रहा. लेकिन आज मैं पुरी तरह बर्बाद हो गया. मेरे पिताजी ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, ऐसा कहते हुए वो सेठ का बेटा रोने  लगा। तभी वो साधु बाबा कहते हैं आप रो मत ,आप मुझे यह बताइए की आपके पिताजी ने ऐसी कौन सी बातें बताई। उसके बाद उस का बेटा एक पर्ची निकालकर उस साधु  को देता है और कहता है साधु बाबा इसी में वो चार  बातें लिखी है.साधु जैसे ही पढ़ता है, पढ़ते  ही हंस ने लग जाता है.  कहता है तुम कितने बड़े मूर्ख हो, तुम्हारी पिताजी ने तो दुनिया का सारा  ज्ञान तुझे दिया है, लेकिन तू ठीक से समझा ही नहीं। तू तो इन चार बातों  का मतलब तो समझा ही नहीं। तुम्हारे पिताजी तो तेरी परीक्षा ले रहे थे की तुम समझ जाएगा इसलिए तुझे बता कर गए. यदि वह चाहते तो इसका मतलब भी तुम्हें बता सकते थे. लेकिन वो  तुम्हें मतलब भी  बता  कर चले जाते तो तुम अपने जीवन में क्या करते। तुम्हें भी तो कुछ ज्ञान अर्जित करना चाहिए था,  तुम्हें भी तो इस बात  को समझना चाहिए था और यदि तुम नहीं समझे तो बर्बाद हो गए। पहले ही किसी साधु के पास जाकर इन चार  बातों  का मतलब पता कर लेता। 

इन चार बातों का मतलब वो नहीं है जो तुम समझ रहे हो. उसके बाद सेठ  का बेटा कहता है, आप क्या कहना चाहते हैं साधु बाबा। बातें तो साफ-साफ दिखे रही है जो लिखी  है वही मैंने किया है. उसके बाद वो साधु बाबा कहते हैं ,मेरी बात ध्यान से सुनो, अब मैं तुम्हें बताता हूं इन चारों बातों  का मतलब और अभी भी वक्त है यदि तुम इन चार  बातों को मेरे से सिख कर अपने जिंदगी  अनुसरण करोगे तो तुम अपनी शोहरत  को वापस हासिल कर सकते हो, तुम अपने जीवन को सुखमय  बना सकते हो. 

उसके बाद वह साधु बाबा कहते हैं की तुम्हारे पिताजी की पहले बात का मतलब है की" छांव में जाना और छांव में आना", इसका मतलब यह है की तुम जब भी काम पर जावो  तो सूर्य उदय से पहले चले जाना उन के कह ने का मतलब ये था की सूर्य ना निकले उससे पहले चले जाना और जब सूर्य डुब जाता है तब तुम अपनी दुकान से वापस आना ताकि तुम पूरे दिन अपने दुकान पर कम कर सको. छांव में जान का मतलब यही होता है और तुमने जो  अपनी दुकान से  घर तक  तंबू लगाया, ताकि तुम छांव में जा सको,ये तो बर्बादी का ही कारण था. उन के कहने  का मतलब था की तुम सुबह जल्दी उठ कर जाओ  और शाम को वापस आओ ताकि तुम पूरे दिन दुकान में रहो, अपना व्यापार बढ़ाओ और जब  तुम दुकान में रहोगे तो दुकान का ही कम करोगे, इसीलिए तुम्हारे पिताजी ने यह बात कहीं। तभी वो सेठ के बेटे को बात समझ आई है और वह रोने  लगता है और कहता है संत बाबा,मैं कितना बड़ा मूर्ख हूं मेरे पिताजी ने तो चार  हीरे दे रखे थे लेकिन मैं उनको पत्थर समझ बैठा।

उसके बाद उसका बेटा कहता है साधु बाबा दूसरी बात का क्या मतलब है?- "चमड़े की बाढ़ करवाना" और मैंने यही करवाई।अब आप मुझे इस का मतलब बताइए। उसके बाद वो साध कहते हैं -चमड़े की बाढ़ करने का मतलब है तुम्हारे घर में कुत्ता या बिल्ली पालना। जब तुम अपने घर में कुत्ता पालोगे तो वह चोरों से रक्षा करेगा ताकि तुम्हारी धन दौलत बची  रहे, तुम्हारी धन दौलत के पास में कोई ना पहुंचे। 'चमड़े की बाढ़ करना' इसका मतलब ये नहीं की तुम सच में चमड़े की बाढ़  करवा दो और तुम ने इसका गलत मतलब निकाला ,इसलिए तुम बर्बादी की तरफ चले गए. अब ना तो तुम्हारे घर में कोई आता है और ना ही तुम्हारे कोई पड़ोसी बचे , ना रिश्तेदार बचे।  

उसके बाद उसे सेठ का बेटा कहता है तो फिर मुझे तीसरी बात का मतलब बताइए 'मीठा करके खाना'.   मैं रोज मिठाई खाता हूं तो फिर मैं बीमारियों से कैसे घीर गया? उसके बाद वह साधु बाबा कहते हैं 'मीठा करके खाने' का मतलब है -हमेशा भूख तेज लगे पर ही भोजन करना, जब तुम्हें भुक तेज लग ने  पर भजन करोगे तो तुम खाने का सम्मान कर पाओगे क्योंकि भूख कभी भी भोजन नहीं मांगती जैसा मिलता है वह खा लेता  है। जब इंसान को भूख लगती है तो उसको बहुत सारे पकवान नहीं चाहिए। यदि उस को ठंडी रोटी भी मिलेगी तो भी उसको बहुत ही मीठा करके खाएगा और उसको बहुत अच्छा लगेगा और यही तुम्हारे पिताजी कह कर गए थे ताकि तुम हमेशा स्वस्थ रह सको ,अच्छा खाना खा  सको और भुक  तेज लगे पर जब आदमी भोजन करता है तो वो भोजन इंसान को नुकसान नहीं पहुंचती बल्कि फायदा पहुंचती है और तुम जो भोजन कर रहे हो ,जो मीठा कर के खा  रहे हो, हमेशा वो भोजन कर रहे हो जो तुम्हें मौत की तरफ लेकर जा रही है और  तुम्हारे शरीर से पता चला है की तुम कितना खाते  हो और क्या खाते  हो, क्योंकि जब बिना भूख के भोजन करते हैं तो वह हमारे शरीर को फायदा नहीं करता बल्कि वो नुकसान पहुंचता  है.और जब शरीर को भोजन की जरूर होती है तब हम भोजन करते हैं तो इस से हमारा शरीर बनता है और इस से हमारा शरीर निरोगी राहत है. कभी भी बीमारियां हमारे पास में नहीं आती  और यही तुम्हारी तीसरी गलती थी.

 उसके बाद वो साधु कहता है की तुम ने चौथी गलती भी की होगी अपनी बीबी को बांधकर पिटा  होगा। तभी वह सेठ का बेटा जोर  से रोने  लगता है कहता है साधु बाबा मेरे तो घर बर्बाद हो गया आप बताइए मैं क्या करूं और इस बात का क्या मतलब है. आखिर क्या मेरे पिताजी क्या कहना चाहते थे. उसके बाद वह साधु कहते हैं अपनी पत्नी को बांध कर पीटने का मतलब है जब तुम्हारी पत्नी के साथ यदि तुम्हारा झगड़ा हो जाए तो उस पत्नी पर तब तक हाथ मत उठाना जब तक उस की कोई औलाद ना हो जाए ,जब तक उस की औलाद नहीं होती है तब तक स्त्री कहानी भी उड़ सकती  है. जब एक स्त्री की औलाद हो जाति है तो वो अपने रिश्तो में बंध जाति है ,उस के बाद तुम भले उसे पर हाथ उठा सक ते हो वह तुम्हें छोड़कर कभी नहीं जाएगी, वो तुम्हें छोड़ देगी लेकिन वो तुम्हारी औलाद को नहीं छोड़ेगी। इसीलिए तुम्हारे पिता जी कहना यही चाहते थे और इसका मतलब यह नहीं की तुम अपने पत्नी पर हाथ उठाओ।कोई भी इंसान तुम से जुड़ा हो यदि वो तुम्हारे साथ गलत कर रहा हो तो उस को बांधने की कोशिश करो ऐसी बातों  में बांधो ताकि वो तुम्हें कोई भी नुकसान ना पहुंच सके और ना कर सके जो तुम्हें गलत लग रहा हो और अपने रिश्तो पर भी यही बात बैठती  है. रिश्ते जब बांधते नहीं है तब तक तुम उसके साथ कुछ भी मत करना ,उसके साथ अच्छे से पेश  आना और यदि रिश्ता जब बध  जाता है ,उसके बाद तुम अच्छे से पेश भी नहीं आओगे तो  भी वो रिश्ता तुम्हें छोड़कर नहीं जाएगा और तुमने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती की अपने पत्नी को बांध कर पीट ने की और इसी वजह से तेरी पत्नी तुझे छोड़कर चली गई और  तुम आज से इन चारों बातों  का अनुसरण करो,  ये हमारी पूरे जीवन की परेशानियां का समाधान है.  

किसी भी तरीके से देख सकते हो यदि तुम्हें कामयाबी चाहिए तो तुम्हें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। सूर्य  जब निकलता है उससे पहले घर से निकालना होगा और तुम्हें  काम करना होगा और हमेशा तुम्हें चौकन्ना रहना होगा ताकि तुम्हारी धन दौलत को कोई ना छीन सके. तुम्हारे रिश्तों पर कोई ठेस  ना पहुंच सके और हमेशा अच्छा भजन करना ताकि तुम स्वस्थ  और तंदुरुस्त रह  सको और जितनी तुम्हें सांस मिली है उसको तुम खुशी खुशी जी सको  और हमेशा रिश्तो को बांध कर रखना कभी भी उन रिश्तो को खुला मत छोड़ देना। आज से इन सभी बातों  का अनुसरण करते हो तो तुम वापस अपने शोहरत हॉसिल  कर सकते हो, वापस अपना व्यापार बड़ा कर  सकते हो. उस के बाद साधु को प्रणाम करते हुए अपने घर की तरफ निकाल जाता है और वह सबसे पहले अपनी पत्नी को लेकर आता है और उन बातों  का सही अर्थ अपने पत्नी को समझता है.और उसके बाद उन बातों  का अनुसरण करते हुए वो अपनी जिंदगी को जारी रखना है. दोस्तों ये चार बातें हमारे हर परेशानी का समाधान है। अब हर तरफ से इस बातों  को ले सकते हो इन चार बातों  में कामयाबी मिलती है. चार बातों में रिश्तों को कैसे बांधना है वो भी मिलता है, हमारा स्वस्थ भी जुड़ा हुआ है और हमारी रक्षा भी जुड़ी हुई है. यह चार  ही चीज इंसान को चाहिए और कुछ भी नहीं चाहिए और इन कर बातों  का यदि इंसान हमेशा अनुसरण करता है, तो मुझे नहीं लगता की किसी इंसान को कोई परेशानी आ  सकती  है. या वह अपनी जिंदगी में कुछ कर नहीं सकता, सब कुछ कर सकता है. यह बातें एक मुहावरे के हिसाब से कहीं गई है लेकिन हर कोई इन बात को समझ नहीं सकता इसलिए मैंने आपको इन बातों को विस्तार में समझाया और मुझे उम्मीद है ये कहानी आपको जरूर पसंद आई होगी। 

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